हल्द्वानी। हल्द्वानी में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक युवक को उसके परिजन डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में छोड़कर चले गए। इलाज के लिए कुछ रुपये जमा कराने के बाद परिवार का कोई भी सदस्य युवक की सुध लेने वापस नहीं लौटा। तीन दिन तक चले उपचार के बाद बीती रात युवक की मौत हो गई। मानवीय संवेदना दिखाते हुए अस्पताल प्रबंधन ने युवक के इलाज में बकाया रहे हजारों रुपये स्वयं वहन किए।

जानकारी के अनुसार, 16 दिसंबर को दो लोग करीब 30 वर्षीय युवक को गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे थे। युवक बेहद कमजोर और अस्वस्थ था। दोनों व्यक्तियों ने उसे अस्पताल परिसर में बैठाया और इलाज के नाम पर काउंटर पर 37 हजार रुपये जमा करा दिए। इसके बाद वे युवक को वहीं छोड़कर चले गए। अस्पताल स्टाफ ने युवक को भर्ती कर उसका उपचार शुरू किया।

करीब तीन दिन तक युवक का इलाज चलता रहा, लेकिन 18 दिसंबर की रात उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। उपचार का कुल बिल लगभग 46 हजार रुपये निकला, जबकि जमा की गई राशि कम पड़ गई। अस्पताल प्रशासन लगातार युवक की पहचान और परिजनों के आने का इंतजार करता रहा, लेकिन कोई भी सामने नहीं आया। युवक के पास उपलब्ध जानकारी में केवल नाम और उम्र दर्ज थी, जिससे उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी।

अंततः अस्पताल प्रबंधन ने इंसानियत के नाते चैरिटी के माध्यम से 46 हजार रुपये के बकाया बिल का भुगतान किया। मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि युवक को उसके परिवार के लोग ही अस्पताल छोड़कर गए थे, लेकिन फिर लौटकर देखने तक नहीं आए। फिलहाल मृतक के शव को शिनाख्त के लिए पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया है।