डा० राजेंद्र कुकसाल/

पहाड़ी क्षेत्रों में बन्द गोभी की व्यवसायिक खेती बढ़े पैमाने की जा रही है कई कीट खडी फसल को हानि पहुँचाते हैं।

बन्द गोभी को हानि पहुंचाने वाले प्रमुख कीट ,तम्बाकू की सूंड़ी (स्पोडोपटेरा लिट्यूरा ) पर्णजाल (लीफ वेबर ) ,हीरक पृष्ट तितली ( डाइमंड बैक मौथ ) सफेद तितली ( व्हाइट बटर फ्लाई ), अर्द्ध कुंण्डलक ( सेमी लूपर ) ।

1. तम्बाकू की सूंड़ी (Spodoptera litura ) –

इस कीट की सूंड़ी / लार्वा पौधों की पत्तियों को खा जाती है और उन्हें पूरी तरह क्षति पहुंचाती हैं।

इस कीट के वयस्क ( मौथ ) 15-18 मी.मी. लम्बे जिसका रंग मटमैला भूरा होता है तथा अग्र पंख सुनहरे-भूरे रंग के सिरों पर टेढ़ी-मेढ़ी धारियां व धब्बे होते है,पिछले-पंख सफेद तथा भूरे किनारों वाले होते है। मादा मौथ आकार में नर से कुछ बड़ी होती है। ये मौथ रात्री चर होते हैं दिन में नहीं दिखाई देते।

इन कीटों का जीवन चक्र लगभग एक माह तक का होता है तथा एक बर्ष में 12 पीढि़यां तक हो जाती है।

 

जीवन चक्र- मादा मौथ 50-300 अंडे प्रति अंड-गुच्छ में पत्तियों की निचली सतह पर देती है। अंड-गुच्छों को मादा अपने शरीर के भूरे बालों द्वारा ढक देती है। अंडा अवस्था 3-7 दिनों की होती है। अण्डों से 2-3 दिनों में इल्लियां /लार्वा निकलती है जो पत्ती की निचली सतह पर ही समूह में रह पर्ण-हरित खुरच-खुरच कर खाती है। सूंडियों / लार्वा पत्तियों को खाकर बड़े आकार के हो जाते हैं। लार्वा में छै बार मोल्टिगं ( केंचुल बदलते हैं ) होती है। पूर्ण विकसित सूंडियां हरे, भूरे या कत्थई रंग की होती है। शरीर के प्रत्येक खण्ड के दोनों तरफ काले तिकोन धब्बे इसकी विशेष पहचान है। इसके उदर के प्रथम एवं अंतिम खण्डों पर काले धब्बे एवं शरीर पर हरी-पीली गहरी नारंगी धारियां होती है।

सूंडियों रात्रि चर होती है। दिन के समय साधारणतः लार्वा पौधों के समीप जमीन के अंदर होते हैं।

पूर्ण विकसित इल्ली 30-40 मि.मी. लम्बी होती है तथा 15-22 दिनों में प्यूपा में बदल जाती है। प्यूपा भूमि के भीतर कोये में पाई जाती है। प्यूपा में से 8-10 दिनों बाद वयस्क मौथ निकलते है।

2.डाइमंड बैक माथ (हीरक पृष्ठ तितली)- जब ये कीट पीछे की ओर मुड़कर धड़ के साथ चिपक अथवा सट जाते हैं तो पीठ की आकृति हीरे के समान प्रतीत होती है इसलिए इस कीट को हीरक कीट कहते हैं।ये कीट पत्तियां पर एक एक कर अलग-अलग अथवा पांच से छह के समूह में अंडे देते हैं।अन्डे शुरू में हल्के पीले रंग के होते हैं तथा बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। इस कीट की सूंडियों ( लार्वा) एक सेन्टीमीटर लम्बी हल्के रंग की होती है तथा छूने पर उछलती हैं। सूंडियों मुख्य रूप से पत्तियों को खाती है तथा पत्तियों की शिराओं के बीच के हरे भाग को खा कर उनमें छिद्र बना देती हैं।

3. बन्द गोभी की सफेद तितली – इस कीट का वयस्क सफेद रंग की तितली होती है,जिसके अगले पंख पीला पन लिए हुए सफेद रंग के होते हैं जिसके ऊपर दो काले धब्बे पाये जाते हैं। सफेद तितली दिन के समय पीले रंग के अन्डे समूह में पत्तियां की निचली व ऊपरी सतह पर देती है। इन अन्डों से एक सप्ताह के अंदर सूडियां निकलती है । शुरू की अवस्था में सूंडियों समूह में रह कर पत्तियों को खाती है लेकिन बाद में अलग अलग फैल जाती है। सूंडियों पौधों की पत्तियों को काट कर नुकसान पहुंचाती हैं अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां की केवल नसें ही दिखाई देती है।

4. पर्ण जाल कीट ( लीफ वेवर ) – इस कीट की हरे रंग की सूंडियों पत्तियों को खा कर उसमें छिद्र कर देती है तथा शीर्ष भाग जहां से कोमल पत्तियों निकलती हैं वहां अन्दर ही अन्दर खाती रहती है और पत्तियों के निचले भाग से चिपकी रहती है। पत्तियों में शिराओं को छोड़ कर ये शेष सभी भागों को खा जाती है।

रोकथाम –

1.इन कीटों की चार अवस्थाएं अंडा, सूंड़ी,प्यूपा व वयस्क होती है। इन चारों अवस्थाऔ को नष्ट करने का प्रयास करने पर ही फसल को नुक्सान से बचाया जा सकता है।

फसल की निगरानी करते रहें पत्तियों / पौधे के किसी भाग पर जैसे ही अंडे , सूंडियों दिखाई दें उन पत्तियों / पौधे के भाग को हटा कर अन्डे व सूंडियों को नष्ट करें।

2. ट्रेप क्राप ( प्रपंच फसल ) –
सरसों को बन्द गोभी की ट्रेप क्राप के रूप में प्रयोग करें। बन्द गोभी की मुख्य फसल के साथ सरसों बोने पर बन्द गोभी पर लगने वाले कीट के वयस्क मादा सरसों के पौधों पर ही अंडे देती है वहीं पर इन कीटों की सूंडियों विकसित होती है तथा सरसों की फसल को ही हानि पहुंचती हैं। छति ग्रस्त सरसों पर कीट नाशक का छिड़काव कर या छति ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर कीट का प्रकोप बन्द गोभी की फसल पर कम किया जा सकता है।

बन्द गोभी की 15 लाइनों के बाद दो लाइनें सरसों की उगानी चाहिए। सरसों की दो लाइनों में से एक लाइन की बुवाई बन्द गोभी की रोपाई के 15 दिन पहले करनी चाहिए जिससे बन्द गोभी की रोपाई के समय सरसों का पौधा 4-5 से.मी. की ऊंचाई प्राप्त कर ले और बन्द गोभी पर लगने वाले कीटों के प्रारम्भिक आक्रमण से बच सके। सरसों की दूसरी लाइन की बुवाई बन्द गोभी रोपाई के लगभग 25 दिनों बाद करें जिससे कीटों को सरसों की पत्तियां बन्द गोबी के पूरे जीवन काल तक मिलती रहे और बन्द गोभी को छति न हो।

3. प्रकाश प्रपंच की सहायता से रात को वयस्क मौथ को आकर्षित कर उन्हें नष्ट करते रहना चाहिए। प्रकाश प्रपंच हेतु एक चौडे मुंह वाले वर्तन ( पारात,तसला आदि ) में कुछ पानी भरलें तथा पानी में मिट्टी तेल मिला लें उस वर्तन के ऊपर मध्य में विद्युत वल्व लटका दें यदि खेत में वल्व जलाना सम्भव न हो तो वर्तन में दो ईंठ या पत्थर रख कर उसके ऊपर लालटेन या लैंम्प रख दें। लालटेन को तीन डंडों के सहारे भी लटका सकते हैं। साम 7 से 10 बजे तक वल्व, लालटेन या लैम्प को जला कर रखें। वयस्क मौथ प्रकाश से आकृषित होकर वल्व, लालटेन व लैम्प से टकराकर वर्तन में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग आसपास के सभी कृषकों को मिल कर करें। बाजार में भी प्रकाश प्रपंच/ सोलर प्रकाश प्रपंच उपलब्ध हैं।

4. वयस्क मौथ/पतगौ को आकर्षित करने के लिए फ्यूरामोन ट्रेप का प्रयोग कर उन्हें नष्ट करें।
फेरोमोन ट्रैप को गंध पाश भी कहते हैं। इसमें एक प्लास्टिक की थैली पर कीप आकार की संरचना लगी होती है जिसमें ल्योर ( गंध पास ) लगाने के लिये एक सांचा दिया होता है। ल्योर में फेरोमोन द्रव्य की गंध होती है जो आसपास के नर कीटों को आकर्षित करती है। ये ट्रैप इस तरह बने होते हैं कि इसमें कीट अन्दर जाने के बाद बाहर नहीं आ पाते हैं। फेरामोन ट्रेप में एक माह बाद ल्योर ( गंध पास ) की टिकिया बदलते रहें।बीज दवा की दुकानों में फ्यूरेमोंन ट्रेप उपलब्ध रहते हैं। AMAZON से भी औन लाइन फेरामौन ट्रेप मंगा सकते हैं। दस पौधों के बीच एक फेरामोन ट्रेप का प्रयोग करें।

5. ब्यूवेरिया बेसियाना ( दमन, बायो पावर ) पांच ग्राम दवा ( एक चम्मच ) का एक लिटर की दर से पानी में घोल बनाकर इल्लियां/ लार्वा के ऊपर छिड़काव करें प्यूपा को नष्ट करने हेतु पौधों के पास की भूमि को भी दवा के घोल से तर करें। दवा का छिड़काव साम के समय पर करें।

6. फसल पर नीम आधारित कीटनाशकों जैसे निम्बीसिडीन निमारोन,इको नीम , अचूक या बायो नीम में से किसी एक का तीन मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर सांयंकाल में या सूर्योदय से एक दो घंटे पहले पौधों पर दस दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करते रहें जिससे तितली पौधों पर अन्डे न दे सके दवा के घोल में प्रिल ,निरमा या कोई भी अन्य लिक्युड डिटर्जेंट की कुछ बूंदें मिलाने पर दवा अधिक प्रभावी होती है। प्यूपा नष्ट करने हेतु पौधों के जड़ों के पास की भूमि को दवा के घोल से खूब तर करें।

7.प्यूपा अवस्था नष्ट करने हेतु पौधों जड़ों के पास गहरी निराई गुड़ाई करें।

रासायनिक उपचार-
यदि जैविक विधियों से कीटों का नियंत्रण नहीं हो पा रहा है तो फसल को बचाने हेतु रासायनिक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

इमिडाक्लोप्रिड ,क्लोरपाइरीफास या मैलाथियान 1 मि.मि. दवा का एक लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। सात दिनों के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करें। एक ही दवा का छिड़काव बार बार न करें।