देहरादून। परेड ग्राउंड के पास उपनल कर्मचारियों के चल रहे धरने को सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का समर्थन मिला। हरीश रावत ने कहा कि उनकी सरकार के दौरान उपनल कर्मचारियों के नियमितिकरण का पूरा फार्मूला तैयार कर लिया गया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के कारण प्रक्रिया अधूरी रह गई। उन्होंने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया कि कोर्ट के बार-बार निर्देशों के बावजूद नियमितिकरण पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
रावत ने चेतावनी दी कि यदि चार-पांच दिनों में निर्णय नहीं लिया गया तो वह स्वयं उपनल कर्मचारियों के साथ धरने पर बैठेंगे। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने सोमवार को यज्ञ कर सरकार की ‘बुद्धि-शुद्धि’ की कामना की। उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि आंदोलन 10 नवंबर से जारी है और कर्मचारियों की मांगें पूरी तरह न्यायोचित हैं।
धरने के दौरान कर्मचारियों ने अपनी साथी नीलम डोभाल के निधन पर गहरा दुख जताया और कहा कि अभी तक कोई मंत्री या अधिकारी संवेदना व्यक्त करने तक नहीं आया। महासंघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो कर्मचारियों के परिवार भी आंदोलन में शामिल होंगे।
उधर, उपनल कर्मचारियों की हड़ताल का असर विभागीय कामकाज पर स्पष्ट दिख रहा है। मेडिकल कॉलेजों में कार्य प्रभावित होने के साथ ही कई विभागों में डाटा एंट्री का कार्य ठप पड़ा है। विभिन्न विभागों में अफसरों के वाहनों के लिए ड्राइवर भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि उपनल से जुड़े ड्राइवर भी हड़ताल में शामिल हैं।
