उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में हो रही नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सैकड़ों डिग्रीधारियों को राहत देते हुए स्वास्थ्य विभाग में पहले से नियुक्ति पाए नर्सिंग अधिकारियों को परीक्षा में दोबारा से प्रतिभाग करने पर रोक लगा दी है.2022 में वन टाइम सेटलमेंट योजना हुई थी।

मामले के अनुसार नवल किशोर,अनीता भंडारी और अन्य की ओर से दायर अलग-अलग अपील पर मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई की. अपीलकर्ताओं की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने नर्सिंग अधिकारियों के पदों को भरने के लिये वर्ष 2022 में वन टाइम सेटलमेंट योजना संचालित की. इसके तहत नर्सिंग डिग्रीधारकों को वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया।

अपीलकर्ताओं की ओर से आगे कहा गया कि वर्ष 2023 में नर्सिंग पदों को भरने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से 1,564 पद विज्ञापित किए गए और उन्हें वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति दे दी गई. इसके बाद 11 मार्च, 2024 को चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से नर्सिंग अधिकारी के 1,455 पदों को भरने के लिये विज्ञप्ति जारी की गई. लेकिन उसमें उन नर्सिंग अधिकारियों ने भी आवेदन कर दिया, जो वन टाइम सेटलमेंट योजना का लाभ वर्ष 2023 में ले चुके थे और नर्सिंग अधिकारी के पद पर नियुक्त हो चुके थे. पीठ ने सुनवाई के बाद उन अभ्यर्थियों को परीक्षा से निरुद्ध कर दिया, जो वन टाइम सेटलमेंट योजना का लाभ ले चुके हैं. इस निर्णय से सैकड़ों नर्सिंग डिग्रीधारक बेरोजगारों को लाभ होगा।

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