karan mahara करन माहरा

शुक्रवार को चमोली में हुए हिमस्खलन के तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक 54 में से 50 मजदूरों को रेस्क्यू कर लिया गया है। जबकि चार मजदूर लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है। इसी बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने एवलांच में मारे गए और प्रभावित हुए मजदूरों के लिए तत्काल मुआवजे का ऐलान करने की मागं की है।

एवलांच से घायल हुए चार मजदूरों की मौत

उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि चमोली जिले के माणा में ग्लेसियर खिसकने से जिस तरीके से लगभग 55 मजदूरों की जान जोखिम में डाली गई वो भयावह घटना है। इस घटना में चार लोगों की मृत्यु का समाचार पीड़ादाई है। उन्होंने प्रार्थना की है किभगवान से प्रार्थना है कि मृतकों को अपने श्रीचरणों मे स्थान दे और अन्य को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें।

एवलांच से प्रभावितों को तत्काल दिया जाए मुआवजा

करन माहरा ने मांग की है कि घायलों के उपचार के लिए निशुल्क उचित व्यवस्थाएं की जाए। इसके साथ ही सरकार मृतकों को तत्काल उचित मुआवजा घोषित करे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा में संघर्षपूर्ण तरीके से बचे मजदूरों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

माहरा का कहना है कि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थतियों वाला राज्य है और दुर्गम क्षेत्रों में ग्लेसियर खिसकने व भूस्खलन का खतरा लगातार बना रहता है इस बार तो मौसम विभाग पूर्व में ही चेतावनी जारी कर चुका था, उसके बावजूद वहां पर सावधानी क्यों नही बरती गई? यह बड़ा सवाल है और मौसम बिगडने के बावजूद भी वहां पर काम क्यों नही रोका गया? इसका सीधा मतलब है कि बडे स्तर पर लापरवाही हुई है सरकार ने पूर्व में चमोली जिले के रैणी की घटना से भी कोई सबक नही सीखा।

घटनाओं से सबक लेने की है जरूरत

माहरा ने बचाव-राहत कार्य में लगे हुए फोर्स के अधिकारियों व जवानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने रातदिन एक कर मजदूरों को सकुशल ग्लेश्यिर से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की है वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को हिमालयी आपदा प्रबंधन पर व्यापक नीति बनाने की आवश्यकता है। जिससे इस प्रकार की घटनाओं से निपटने और रोकने के लिए व्यापक कार्य योजना बनाई जा सके। क्योंकि इस प्रकार की संवेदनशील घटनायें लगतार बढ़ रही हैं उनसे हमें सबक लेकर सिखने की आवश्यकता है।

करन माहरा ने कहा कि जिस अवैज्ञानिक और अनियंत्रित तरीके से उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन, भूू-धंसाव वाले संवेदनशील क्षेत्रों में नदियों से छेडछाड़, मास्टर प्लान के नाम पर निर्माण, अलकनन्दा में रिवर फ्रंट कार्य किये जा रहे हैं, उससे भी पहाडों को नुकसान हो रहा है। इन सब पर सरकार को संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इन संवेदनशील मामलो में वैज्ञानिकों की राय ली जानी चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकें।