हल्द्वानी। वनभूलपुरा में फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र तैयार करने के मामले में नया खुलासा हुआ है। पुलिस विवेचना में सामने आया है कि मुख्य आरोपी फैजान मिरकानी असली अरायजनवीस नहीं था, बल्कि कई सालों से हल्द्वानी तहसील में अरायजनवीस बनकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर मोटी कमाई कर रहा था। फैजान के नेटवर्क की कड़ियां उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैली होने की आशंका है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के जनता दरबार में फर्जी प्रमाणपत्र मामले का भंडाफोड़ हुआ था। कमिश्नर और पुलिस की संयुक्त छापेमारी में फैजान मिरकानी के सीएचसी से कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए थे। इसके बाद तहसीलदार कुलदीप पांडे की तहरीर पर फैजान, उसके साथी रईस अहमद और ऊर्जा निगम कर्मी दिनेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तीनों को जेल भेजा गया था।

जांच में यह भी पता चला है कि फैजान ने ऊर्जा निगम कर्मचारी दिनेश की सहायता से उत्तर प्रदेश के स्थापना काल के बिजली बिल निकलवाकर उनसे भी फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कराए थे। इसके बदले वह मनचाही रकम वसूलता था। एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी ने बताया कि गिरोह का नेटवर्क राज्य के बाहर भी हो सकता है, जिसकी तलाश तेज कर दी गई है।

फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद हल्द्वानी तहसील में हड़कंप मच गया है। तहसील प्रशासन ने सभी अरायजनवीस, स्टांप वेंडर और कॉमन सर्विस सेंटरों की जांच शुरू करने का निर्णय लिया है। बुधवार से 12 सदस्यीय कमेटी दस्तावेजों की जांच करेगी। तहसीलदार कुलदीप पांडे के अनुसार जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित वेंडरों व संचालकों पर कठोर कार्रवाई के साथ मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।