Uttarakhand: उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास नहीं रह गया है। हाल ही का मामला प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक (डीजी) तारा आर्य से जुड़ा हुआ है, जो तबीयत बिगड़ने पर निजी अस्पताल में इलाज के लिए गए। मस्तिष्क संबंधित समस्या के कारण उन्हें देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां वे न्यूट्रिशनल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में उपचाराधीन हैं।

यह घटना दर्शाती है कि सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के दावों के बावजूद, जब अधिकारी खुद की सेहत की बात आती है, तो निजी अस्पतालों पर अधिक भरोसा करते हैं। सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरणों और उपचार की सुविधाओं की कमी, लंबी कतारें, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य समस्याओं के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसके विपरीत, निजी अस्पतालों में बेहतर सेवाएं, कम प्रतीक्षा समय और उन्नत तकनीकें उपलब्ध होती हैं, जिससे मरीज अधिक आश्वस्त महसूस करते हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा निजी अस्पताल में इलाज कराने से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है और यह संकेत मिलता है कि सरकारी अस्पतालों में सुधार की आवश्यकता को समझा जा रहा है, लेकिन इसे लागू करने में चुनौतियां हैं। ऐसे में राज्य सरकार के लिए यह एक गंभीर मुद्दा है कि वह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाती है।

रिपोर्ट  – धनंजय ढौंडियाल