पेपर लीक और कानूनी प्रक्रिया

 

देहरादून। उत्तराखंड के चर्चित पेपर लीक मामला प्रकरण में मुख्य आरोपी खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया की न्यायिक हिरासत 14 दिन के लिए बढ़ा दी गई है। मंगलवार को दोनों को जिला अदालत में पेश किया गया, जहां एसआईटी ने जांच जारी रहने की जानकारी देते हुए हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया। अदालत ने तर्क स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई तक दोनों को जेल भेजने के आदेश दिए।

सूत्रों के अनुसार, एसआईटी टीम अब तक खालिद और साबिया से जुड़े कई अहम साक्ष्य जुटा चुकी है। हाल में टीम ने सर्च वारंट के तहत खालिद के हरिद्वार स्थित घर की तलाशी ली, लेकिन वहां परीक्षा तैयारी से संबंधित कोई सामग्री नहीं मिली।

जांच में यह भी सामने आया कि खालिद ने 2024 से 2025 के बीच नौ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन किया, जिनमें से पाँच परीक्षाओं में वह शामिल नहीं हुआ। जिन परीक्षाओं में शामिल हुआ, उनमें उसके अंक बेहद कम रहे। यह संकेत देता है कि खालिद लंबे समय से नकल या संगठित तरीके से सफलता पाने की कोशिश कर रहा था। पेपर लीक मामला इसके पीछे एक बड़ा कारण हो सकता है।

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि खालिद ने कुछ परीक्षाओं में आवेदन किया, जिनकी शैक्षणिक योग्यता वह पूरी नहीं करता था। इससे शक गहरा गया कि उसकी भूमिका केवल उम्मीदवार की नहीं, बल्कि संगठित पेपर लीक नेटवर्क से जुड़ी हो सकती है।

इस बीच, पुलिस को खालिद का एक मोबाइल फोन अभी तक नहीं मिला, जिसे उसने भागते समय ट्रेन के कूड़ेदान में फेंक दिया था। दूसरा मोबाइल पुलिस के कब्जे में है, जिससे उसने परीक्षा केंद्र से अपनी बहन साबिया को प्रश्नपत्र के तीन पन्ने भेजे थे।

मोबाइल फॉर्मेट किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों की मदद से डेटा रिकवर करने का प्रयास जारी है। पुलिस का मानना है कि मोबाइल डेटा मिलने पर इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों के नाम भी उजागर हो सकते हैं, जिससे जांच को नई दिशा मिल सकती है।

एसआईटी अब खालिद के पिछले दो वर्षों के संपर्क और आर्थिक लेन-देन की भी जांच कर रही है।