देहरादून। ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (AILU) उत्तराखंड राज्य कमेटी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हुई निंदनीय घटना की कड़ी निंदा की है। इस घटना को लेकर यूनियन ने जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर दोषी अधिवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।

AILU के राज्य सचिव अधिवक्ता शंभू ममगाई ने कहा कि चीफ जस्टिस पर हुआ हमला मनुवादी मानसिकता को उजागर करता है और यह संविधान में निहित समानता तथा बराबरी के अधिकार के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि यह कृत्य न्यायिक व्यवस्था और लोकतंत्र दोनों के लिए खतरनाक संकेत है

AILU के राज्य उपाध्यक्ष एवं बार काउंसिल उत्तराखंड के सदस्य रंजन सोलंकी ने इस घटना को बेहद शर्मनाक और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि किसी अधिवक्ता द्वारा न्यायालय परिसर में ऐसा व्यवहार करना अधिवक्ता धर्म, गरिमा और आचरण के विपरीत है। इस तरह की घटनाएं न केवल देश बल्कि विश्व स्तर पर भारतीय अधिवक्ता समाज की छवि को धूमिल करती हैं।

AILU की राज्य कमेटी की सदस्य अनुराधा ने कहा कि भले ही मुख्य न्यायाधीश ने इस घटना को दरकिनार किया हो, लेकिन अधिवक्ता समाज को चुप नहीं रहना चाहिए। यह मनुवादी दलित-विरोधी मानसिकता का परिचायक है।

अगर देश के सर्वोच्च न्यायालय के दलित मुख्य न्यायाधीश के साथ इस प्रकार का व्यवहार हुआ और दोषी बच गया, तो यह संदेश जाएगा कि गरीब या दलित के साथ अन्याय करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

AILU के जिला अध्यक्ष अशोक कटारिया ने समापन भाषण में कहा कि 6 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय परिसर में घटित यह घटनाक्रम लोकतंत्र पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि सरकार को दोषी अधिवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो