शंखनाद INDIA/मुन्ना अंसारी /हल्द्वानी :- रेलवे विभाग की ओर से हल्द्वानी के वनभूलपुरा में रह रहे लोगों को 15 दिन के अंदर जगह खाली करने के नोटिस कुछ जिला अदालत में चुनौती देने के बाद कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को राहत देते हुए अग्रिम आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी। कोर्ट ने निर्धारित तिथि में रेलवे विभाग को जरूरी दस्तावेजों के साथ तलब किया है।

मामले के अनुसार पिछले दिनों रेलवे विभाग ने वनभूलपुरा क्षेत्र के करीब 1500 लोगों को बेदखली के नोटिस दिए थे। रेलवे विभाग से नोटिस मिलने के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र के लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। नोटिस के विरुद्ध वनभूलपुरा निवासी मोहम्मद एहसान की ओर से जिला न्यायाधीश प्रीतु शर्मा की अदालत में अपील दायर की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप तिवारी की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए जिला न्यायाधीश प्रीतु शर्मा की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता की अपील को स्वीकार किया।

मामले में 2 फरवरी तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित किए। साथ ही 2 फरवरी की अगली तिथि नियत करते हुए रेलवे विभाग इज्जत नगर मंडल को मूल अभिलेख प्रस्तुत करने के आदेश पारित किए। कोर्ट के इस आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र में जश्न का माहौल है। याचिकाकर्ता मोहम्मद एहसान ने बताया कि उन्हें इस काम के लिए कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया का सहयोग मिला।

उन्होंने इसके लिए दीपक़ बल्यूटिया का आभार जताते हुए कहा कि जिला अदालत का यह आदेश बाकी उन लोगों के लिए बेहद लाभप्रद साबित होगा जो पिछले 50-60 साल से वनभूलपुरा क्षेत्र में रह रहे हैं। और वर्तमान में ऐसे लोगों को रेलवे विभाग की ओर से बेदखली के नोटिस मिले हुए हैं। इधर बल्यूटिया ने बताया कि वह बनभूलपुरा क्षेत्र, नई बस्ती,गफूर बस्ती तथा अन्य सटे हुए इलाके,के लोगों को बेदखली के नोटिस मिलने के बाद से ही उनकी मदद की पैरवी कर रहे थे। यहां जिन लोगों को रेलवे विभाग की ओर से बेदखली के नोटिस मिले हैं ।

नोटिस मिलने के बाद उन्होंने स्थानीय लोगों के दस्तावेज देखने विधि विशेषज्ञों से विधिक राय जुटाई। उन्होंने बताया कि रेलवे विभाग लंबे समय से हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में अपनी जमीन होने का दावा कर रहा है।  लेकिन आज तक जमीन का ठीक से पैमाइश नहीं करा पाया। जबकि यहां रह रहे लोगों के पास जमीन के पट्टे होने के साथ ही भवन निर्माण के नक्शे तथा बिजली-पानी के बिल मौजूद हैं। और कई सारे सरकारी संस्थान भी यहां हैं। लिहाजा यहां के लोगों को अतिक्रमणकारी नही ठहराया जा सकता है।

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