उत्तर भारत में धर्मांतरण गिरोह की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका खुलासा आगरा पुलिस की कार्रवाई के बाद सामने आया है। गिरोह के 10 सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद कई हैरान कर देने वाली जानकारियां उजागर हुई हैं। इनमें छह ऐसे लोग हैं जो मूलतः हिंदू धर्म से थे, लेकिन धर्म बदलकर अब मुस्लिम पहचान में जी रहे हैं।
देहरादून निवासी रूपेंद्र सिंह बघेल अब अबू रहमान
गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल उत्तराखंड के देहरादून निवासी रूपेंद्र सिंह बघेल अब अबू रहमान बन चुका है। इसी तरह दिल्ली का मनोज अब मुस्तफा, कोलकाता का ऋतिक मोहम्मद इब्राहिम, जयपुर का पियूष अली, और आगरा की दो बहनें सोया व अमीना बन चुकी हैं।
पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह गिरोह केवल युवतियों को नहीं, पुरुषों को भी निशाना बना रहा है। खासकर वे लोग जो बेरोजगारी, पारिवारिक कलह या सामाजिक तिरस्कार से जूझ रहे हैं — इन्हें निशाना बना कर ब्रेनवाश किया जाता है।
“तुम्हारा भगवान कहाँ है?” — ब्रेनवॉश का तरीका
गिरोह के सदस्य हिंदू युवाओं को यह कहते हैं कि “अगर तुम्हारा भगवान होता तो तुम्हारी मदद जरूर करता।” इसके विपरीत, इस्लाम धर्म में मदद के लिए खुदा अपने बंदे भेजता है। इस तर्क के जरिए उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता है।
इनमें से कई युवाओं को कश्मीर भेजकर मुजाहिद बनने की ट्रेनिंग देने की योजना थी। गिरफ्तार दो बहनों ने पुलिस को बताया कि धर्मांतरण गिरोह का एक मजबूत कश्मीरी नेटवर्क भी सक्रिय है।
कश्मीरी छात्र-छात्राएं बनते हैं ‘ब्रेनवॉशिंग’ का औजार
धर्मांतरण गिरोह के सरगना अब्दुल रहमान का मुख्य हथियार है कश्मीर से आए युवा छात्र-छात्राएं। पुलिस सूत्रों के अनुसार ये लोग कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान जानबूझकर नमाज अदा करते हैं, बहस छेड़ते हैं, जातिवाद, वर्णव्यवस्था और हिंदू धर्म की सामाजिक कुरीतियों पर सवाल उठाते हैं। धीरे-धीरे युवाओं को फुसलाकर धर्म परिवर्तन की दिशा में धकेला जाता है।
“रिवर्ट” कोड: पहचान बदलने का नया तरीका
एक अन्य अहम खुलासा यह हुआ कि धर्मांतरण करने वालों को सोशल मीडिया पर “रिवर्ट” टैग दिया जाता है, जिसका अर्थ होता है — “वापस लौटना” (Return to Islam)। इसका इस्तेमाल यह जताने के लिए किया जाता है कि उन्होंने ‘असली धर्म’ को फिर से स्वीकार किया है।
उत्तराखंड में भी गहराई तक फैला नेटवर्क
गिरफ्तार लोगों की पूछताछ में यह बात सामने आई है कि उत्तराखंड, विशेष रूप से देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में गिरोह की सक्रियता है। पिछले कुछ वर्षों में हजारों लोग, विशेषकर युवतियां, गायब बताई जा रही हैं, जिनमें से कई मामलों का धर्मांतरण से संबंध हो सकता है।
पुलिस की सख्त कार्रवाई जारी, बड़े खुलासे अभी बाकी
पुलिस का कहना है कि इस मामले में और भी बड़ी साजिश सामने आ सकती है। एसआईटी की जांच जारी है और गिरोह के आर्थिक स्रोत, प्रशिक्षण कैंप्स और वैचारिक नेटवर्क पर गहराई से जांच की जा रही है।