देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के युवक एंजेल चकमा की हत्या को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने इस घटना के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ी आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों द्वारा अन्य समुदायों, खासकर अल्पसंख्यकों और पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ फैलायी जा रही नफरत का ही नतीजा ऐसी घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है।

सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में मणिकम टैगोर ने कहा कि देहरादून में 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजेल चकमा की हत्या कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि यह नफरत के सामान्यीकरण का परिणाम है। उन्होंने बताया कि हमले से पहले एंजेल चकमा को नस्लीय गालियां दी गईं और उन्हें ‘चीनी’ व ‘मोमो’ जैसे अपमानजनक शब्दों से पुकारा गया। इसके बाद उन पर चाकू और धारदार हथियारों से हमला किया गया। गंभीर रूप से घायल एंजेल कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहे, लेकिन आखिरकार उनकी मौत हो गई।

कांग्रेस सांसद ने उत्तराखंड सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में एफआईआर में हमले से पहले हुए नस्लीय दुर्व्यवहार का जिक्र होने के बावजूद जांच की रफ्तार धीमी रही। सरकार की चुप्पी से यह संदेश जाता है कि पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ होने वाली नस्लीय हिंसा को बर्दाश्त किया जा रहा है। मणिकम टैगोर ने इसे केवल कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विफलता बताया।

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग भारतीय नागरिक हैं, किसी भी तरह के अपशब्दों या रूढ़िवादी सोच का निशाना नहीं। सांसद ने एंजेल चकमा के लिए न्याय की मांग करते हुए चेतावनी दी कि जब तक नफरत की राजनीति को चुनौती नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं। गौरतलब है कि 9 दिसंबर को देहरादून में बदमाशों के एक समूह ने एंजेल चकमा पर हमला किया था, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।