वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के मुताबिक जलवायु परिवर्तन हिमालयी क्षेत्रों के (Glacier) ग्लेशियरों की सेहत के लिए चिंता का विषय बनता दिख रहा है। उत्तराखंड के ग्लेशियर (Glacier) भी इससे अछूते नहीं हैं। यहां के ग्लेशियर प्रतिवर्ष 10 मीटर की औसत दर से पीछे खिसक रहे हैं। हालांकि ये बात विभिन्न अध्ययन में सामने आ चुकी है। संस्थान ने हाल में लद्दाख के तीन (Glacier) ग्लेशियरों (पेंसिलुंगपा, द्रुंग-द्रुंग और प्रकाचिक) पर अध्ययन शुरू किया है।
इसकी विस्तृत रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार ये तीनों ग्लेशियर (Glacier) भी तेजी से पिघल रहे हैं। आपको बता दें उत्तराखंड में 968 छोटे-बड़े ग्लेशियर (Glacier) हैं, और सभी में पिघलने की दर तेज होने की बात सामने आ रही है। वाडिया संस्थान के एक अध्य्यन के मुताबिक सर्वाधिक तीव्र गति से गंगोत्री ग्लेशियर पीछे खिसक रहा है। इसके पीछे खिसकने की गति प्रतिवर्ष 20 मीटर से अधिक पाई गई है।