भारत का चंद्रयान-3 इतिहास रचने के काफी करीब है। आज शाम जब घड़ी में 6 बजकर 4 मिनट पर होंगे, चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह को स्पर्श करेगा। काउंटडाउन जारी है  चांद पर चंद्रयान-3 के उतरते ही स्पेस मिशन का नया इतिहास बनने वाला है। यही कारण है कि न सिर्फ करोड़ों भारतीय लैंडिंग के अपडेट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया की टकटकी लगी हुई है। इसरो ने इस ऐतिहासिक नजारे को देशवासियों के साथ साझा करने के लिए इसका सजीव प्रसारण करने की योजना बनाई है। ताकि सुखद पहलू को लोग लाइव प्रसारण के जरिए देखकर रोमांचित और गर्व की अनुभूति कर सकें।

लैंडिंग का होगा लाइव प्रसारण   

चंद्रयान 3 का चांद पर उतरने की घटना का तकरीबन शाम 5 बजकर 20 मिनट से इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, इसरो के फेसबुक पेज और टीवी चैनल के साथ नेशनल जियोग्राफिकल चैनल और डिजनी प्लस हॉटस्टार जैसे प्लेटफॉर्म पर इसका सजीव प्रसारण किया जाएगा। इसके अलावा, विभिन्न न्यूज चैनल भी इसका सजीव प्रसारण करेंगे। वहीं, इस खास पल को दिखाने के लिए राजधानी दिल्ली के नेहरू प्लैनिटोरियम में भी विशेष व्यवस्था की जा रही है। जहां छात्रों के साथ आम लोग भी छात्र प्लैनिटोरियम में सजीव प्रसारण के माध्यम से उस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन सकेंगे।

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए देहरादून टपकेश्वर महादेव मंदिर में पूजन जारी

देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर में माता वैष्णो देवी गुफा में मंगलवार से चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए पूजा शुरू हो गई है। यह विशेष पूजा 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग तक जारी रहेगी।

उधर, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए अयोध्या में दिवाकराचार्य महाराज ने हवन-पूजन किया। वहीं चन्द्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के लिये मंगलवार को लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में दुआ मांगी गई। दुआ में बड़ी संख्या में मदरसे के छात्र और नमाजी शामिल हुये। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन एवं ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने दोपहर में जोहर की नमाज के बाद अल्लाह से चन्द्रयान-3 के चांद पर सफल लैंडिंग के लिये दुआ की। इस मौके पर बड़ी संख्या में मदरसे के छात्र और नमाजी शामिल हुए। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने इसरो के वैज्ञानिकों को चन्द्रयान-3 के चन्द्रमा पर भेजे जाने के लिये मुबारकबाद दी। मौलाना ने कहा कि चन्द्रयान की सफल लैंडिंग के बाद भारत ल्यूनर साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करने वाला दुनियां का पहला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि ये हम सब देशवासियों के लिये गर्व की बात है।

इस कारण खास है भारत का ये मिशन

चंद्रयान-3 भारत के महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोग्राम का अहम पड़ाव है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो पहले भी चांद के मिशन को अंजाम दे चुकी है और मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है, लेकिन यह मिशन बाकियों से अलग है। यह मिशन चांद के उस हिस्से में उतरने का प्रयास है, जो हमेशा अंधेरे में रहता है। अभी तक चांद का यह हिस्सा अनएक्सप्लोर्ड है और मिशन के सफल होने पर यह उस हिस्से में पहली सॉफ्ट लैंडिंग होगी।

आज लैंडिंग नहीं हुई, तो 27 अगस्त को होगी
चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी। चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।

चंद्रयान-3 के लैंडिंग के चार फेज होंगे
1. रफ ब्रेकिंग फेज

इस वक्त लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर होगा और स्पीड 1.6 Km/sec होगी।
ये फेज 690 सेकेंड तक चलेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे।
690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358 m/sec और नीचे की तरफ 61 m/sec हो जाएगी।

2. एल्टिट्यूड होल्ड फेज

विक्रम चांद की सतह की फोटो खींचेगा और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर करेगा।
चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था अब इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया है।
इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 m/s और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 m/s हो जाएगी।

3. फाइन ब्रेकिंग फेज

ये फेज 175 सेकेंड तक चलेगा इसमें स्पीड 0 पर आ जाएगी।
लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल हो जाएगी।
सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी।
विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी।
फिर से फोटोज लिए जाएंगे और कंपेयर किया जाएगा।

4. टर्मिनल डिसेंट फेज

अगले 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा।
लैंडर पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की तस्वीरें खींचेगा।
विक्रम पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा।
अगर सब सही है तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतर जाएगा।
अगर नो-गो की कंडीशन होगी तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा।
फिर से सतह चेक करेगा और सब कुछ सही रहा तो लैंड कर जाएगा।

लैंडिंग के बाद क्या होगा?

डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा।
पहिए चांद की मिट्‌टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ेंगे।
विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की।
इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा।