नई दिल्ली।
    अखिल भारतीय किसान महासभा ने संसद में पेश मोदी सरकार के अंतरिम बजट को झूठ का पुलिंदा, किसानों, मजदूरों, देशवासियों से धोखा और चालाकी भरा बताया है। किसान महासभा ने कहा है कि देश की आर्थिक स्थिति पर मोदी सरकार देशवासियों को धोखे में रखे है। देश पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने की कोई दिशा बजट में नहीं है। मोदी राज में 2014 के 55 लाख करोड़ की जगह आज 1अरब 73 लाख करोड़ के करीब देश पर कर्ज चढ़ गया है। यह स्थित आने वाले चंद वर्षों में देश को आर्थिक दिवालिया की दिशा में धकेल देगी, जब देश की जीडीपी व कर्ज बराबरी पर आ जाएगा।
      किसान सभा के मुताबिक सरकार झूठा दावा कर रही है कि इस बीच 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि मोदी राज में देश गरीबी और भुखमरी के आंकड़ों के काफी निचले पायदान पर पहुंच गया है। खुद भूख मिटाने के नाम पर देश में बांटे जा रहे 5 किलो मुफ्रत अनाज के पात्रों का बढ़ता सरकारी आंकड़ा (80 करोड़ से अब 81 करोड़) इसका जीता जागता उदाहरण है।अंतरिम बजट में पफसल कटाई के बाद निजी व विदेशी निवेश के लिए कृषि क्षेत्र के दरवाजे खोलने की बात है। यह किसान आंदोलन के दबाव में वापस लिए गए कृषि बिलों की खुलेआम पुनर्वापसी है। यानी कृषि मंडी, अनाज भंडारण और उसके खुदरा व्यापार में कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश कराया जाएगा। किसान महासभा इसे तुरंत वापस लेने की मांग करती है।
     किसानों की फसलों के लिए एमएसपी, किसानों मजदूरों की कर्ज मुक्ति, प्राकृतिक आपदा के बाद किसानों को न मिल रहे मुआवजे, कृषि में बढ़ती लागत सामग्री की कीमतों को कम करने जैसे किसानों की मुख्य मांगों पर इस अंतिरिम बजट में कोई राहत नहीं दी गई है।माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के मनमाने ब्याज और नियम विरुद्व दिए जा रहे कर्ज के जाल में आत्महत्या की तरफ बढ़ रहे डेढ़ के गरीबों/महिलाओं को कोई राहत नहीं। उल्टे सरकार लखपति महिला का जुमला लाकर कर्ज के नीचे कराह रही देश की गरीब महिलाओं का मजाक उड़ा रही है। आसमान छूती महंगाई से भी कोई राहत की उम्मीद बजट में नहीं है। जबकि कारपोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 और 15 प्रतिशत तक ला दिया गया है।
     सभा के अनुसार कुल मिलाकर यह अंतरिम बजट झूठ का पुलिंदा, धोखा और कारपोरेट लूट को बढ़ाने वाला है। किसान महासभा इस मजदूर, किसान विरोधी, देश को लूटने वाली सरकार खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाने व 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे परास्त करने की अपील करती है।

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