नैनीताल:
हाईकोर्ट ने एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण साह पर दुष्कर्म करने के मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने पूर्व जिलाध्यक्ष की अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है. आज सुनवाई के दौरान पीड़िता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि आरोपी की पूर्व में गिरफ्तारी पर रोक लगी थी, उसके बाद वो पीड़िता को डराया धमकाया करता रहा. अभियुक्त ने अपनी गिरफ्तारी रोकने के आदेश का गलत इस्तेमाल किया है।
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          पीड़िता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि, अभियुक्त का परिवार राजनीतिक पार्टी से संबंध रखता है. वो बार-बार पीड़िता को थाने में बुलाकर केस वापस लेने का दवाब बनाता रहा. उसने पीड़िता के साथ कई बार संबंध बनाए. जब उसने मना किया तो उसका मानसिक और शारीरिक शोषण करना शुरू कर दिया. पुलिस द्वारा पीड़िता का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. एसएसपी को शिकायत करने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. इसमें पुलिस की घोर लापरवाही भी रही है. पीड़िता ने बताया कि, आरोपी के पास पिस्टल है, उसको लेकर अक्सर अभियुक्त अपने साथियों के साथ उसका पीछा करने व घर जाकर धमकी देता रहा।
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   वहीं, अभियुक्त की तरफ से कहा गया कि यह रेप का केस नहीं है. पीड़िता व अभियुक्त एक दूसरे की 2018 से जानते हैं. अब जाकर पीड़िता ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. इनके बीच जो संबंध बने आपसी रजामंदी से हुए, इसलिए यह रेप का केस नहीं है. अभियुक्त को इसमें गलत नीयत से फंसाया जा रहा है.   
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   मामले के अनुसार 2013-2014 में एनएसयूआई नैनीताल जिलाध्यक्ष रह चुके तरुण साह के खिलाफ एक महिला ने मुखानी थाना पुलिस को तहरीर देकर कहा था कि तरुण साह ने 2018 में उससे अवैध संबंध बनाए. उसके पति की बीमारी का फायदा उठाकर आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती की. वह उसके घर आकर अवैध संबंध बनाता था. लोक-लाज का हवाला देकर उसे चुप कराता रहा और बार-बार धमकी देकर शारीरिक शोषण करता रहा. 2019 में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया, महिला के अनुसार वह बच्चा भी तरुण साह का है.

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