चमोली: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाला अमेश (सीबकथोर्न) एक बहुउपयोगी जंगली फल है, जो विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर है। इसका उपयोग होम्योपैथिक दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। शुक्रवार को दशोली विकासखंड सभागार में एनआरएलएम के अंतर्गत आयोजित कार्यशाला में हर्बल रिसर्च डिपार्टमेंट (एचआरडी) के वैज्ञानिक वीपी भट्ट ने इसकी जानकारी दी।
अमेश के औषधीय गुण बताते हुए भट्ट ने कहा कि इस पौधे का फल, पत्ती और छिलका सभी औषधि के रूप में उपयोगी हैं। अमेश से निकला जूस कैंसर, बीपी, शुगर, बाल झड़ने और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में सहायक है। इसमें विटामिन सी की मात्रा नींबू और आंवला से बीस गुना अधिक होती है।
जिला सहायक परियोजना अधिकारी केके पंत ने बताया कि अमेश का दोहन रोकने के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सेंटर नर्सरी तैयार की जाएगी और जिले स्तर से इसके लिए बजट की व्यवस्था की जाएगी।
बैठक में दशोली विकास खंड के खंड विकास अधिकारी डीएस राणा, जोशीमठ ब्लॉक के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्रांच मैनेजर काला, ग्राम प्रधान कागा गरपक पुष्कर सिंह राणा और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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