देहरादून। तीन साल की एक बच्ची को खांसी-बुखार के इलाज में डॉक्टर की गलत दवा सलाह और परिजनों द्वारा दी गई भारी ओवरडोज ने मौत के मुहाने पर ला दिया। भगवानपुर की रहने वाली बच्ची गर्विका को एक स्थानीय डॉक्टर ने *डेक्सामिथार्पन सिरप* देने की सलाह दी, जबकि यह दवा चार साल से कम बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जाती। परिजनों ने अनजाने में बच्ची को 40 से 50 एमएल तक सिरप दे दिया, जिससे उसका नर्वस सिस्टम चोक हो गया और वह कोमा में चली गई।
बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर पहले रुड़की के एक निजी अस्पताल और फिर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह तीन दिन उपचाररत रही। हालत में सुधार न होने पर दो दिसंबर को उसे दून अस्पताल रेफर किया गया। दून अस्पताल के एमएस डॉ. आरएस बिष्ट के अनुसार, बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पीडियाट्रिक आइसीयू में भर्ती किया गया, जहां चार दिन वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ा। बाल रोग विशेषज्ञों की टीम डॉ. तन्वी सिंह, डॉ. आयशा इमरान, डॉ. आस्था भंडारी और डॉ. कुलदीप ने लगातार निगरानी में उपचार किया।
लगातार 12 दिन तक चले गहन इलाज के बाद बच्ची की स्थिति सामान्य हुई और 10 दिसंबर को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
पीडियाट्रिक्स विभाग के एचओडी डॉ. अशोक कुमार ने चेतावनी देते हुए कहा कि बच्चों की बीमारी में किसी भी तरह की दवा खुद से न दें और न ही झोलाछापों के चक्कर में पड़ें। गलत दवा या ओवरडोज बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से परिजनों को सीख लेकर केवल विशेषज्ञ डॉक्टरों से ही परामर्श लेना चाहिए।
