शंखनाद INDIA/चमोली :
बड़े ही अचम्भे की बात हैं कि सरकार ने आज बहुत सी योजनाए चला दी हैं पर अब भी पहाड़ो में तो वही पिछड़ी सोच के साथ ही हालत भी बद से बद्तर नज़र आ रहे हैं। आज जो खबर शंखनाद आपके साथ साझा करना चाहता है वह संवाददाता अवतार सिंह पवार द्वारा पेश की गयी हैं। आज भी सरकार की तमाम लाखों करोड़ों की जनकल्याणकारी योजनाऐ सही मानको ओर सही पात्रों तक नही पहुँच पायी हैं। इसका एक और ताजा उदाहरण चमोली जिले के घाट विकासखण्ड के लांखी गांव से सामने आया है जहाँ पर एक निराश्रित विधवा महिला एक टिन के छोटे से कमरे में धुँए एव अंधकार में जीवनयापन कर रही है और दो वक्त की रोटी के लिए दर दर भटकती है गांवों में दया कर कोई कुछ देता है तो ही इनका चूल्हा जलता है। ऐसी बेसहारा विधवा महिला के लिए ना प्रधानमंत्री आवास योजना ओर नाही उज्जला योजना है। आप तस्वीरो के देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं यह गांव के लोग पिछड़े टपके में जी रहे हैं।
वहीं दूसरे बुजर्ग की भी ब्यथा कुछ इस प्रकार है कि घनश्याम दत्त पांडेय को फ़रवरी 2020 से किसान पेंशन ही नही मिली। जबकि इनकी किसान पेंसन सितम्बर 2019 से शुरू हुई और तीन क़िस्त किसी दूसरे ब्यक्ति के खाते में गयी।वही इन हालत पर घनश्याम दत्त पांडेय ने बताया कि उन्होने तहसील घाट को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा। तो केवल दो क़िस्त मेरे खाते में फरबरी 2020 से आने के बाद तीसरी क़िस्त आजतक भी नही आयी।