शंखनाद INDIA/ देहरादून

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2 अक्टूबर 2014 में देश को स्वच्छ रखने की प्रतिज्ञा लेते हुए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरूवात की थी| पीएम मोदी ने देश की जनता से आह्वान किया था कि वह साफ और स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के सपने को पूरा करें। और देश में गंदगी न फैलाएं| लेकिन पीएम मोदी का यह सपना कैसे साकार होगा जब सत्ता में ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी ही इस ओर सजग और जिम्मेदार नहीं बनेंगे| क्या यह सिर्फ जनता की ही जिम्मेदारी है कि वह अपने घरों के आस पास या कही भी गंदगी न फैलाएं|

सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थलों और कार्यालयों में शराब पीना और गंदगी फैलाना कानूनन अपराध माना गया है,  लेकिन अगर बात उन स्थानों की हो जहां सरकार के अधिकारी बैठे हों और वहां गंदगी का अंबार लगा हो, तो क्या यह उन अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत उस गंदगी को साफ कराया जाए| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह सपना तबतक साकार नहीं होगा जबतक जिम्मेदार अधिकारी ही अपना काम सही से नहीं कर रहे हैं|

मामला उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय का है जहां आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि कैसे यहां शराब की बोतलों का ढेर पड़ा है लेकिन किसी के द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है| सवाल यह है कि आखिर विधानसभा सचिवालय में किसके द्वारा यह गंदगी फैलाई जा रही है| क्या विधानसभा सचिवालय  सफाई को लेकर सजग नहीं है?विधानसभा परिसर में यह तस्वीर मंत्रियों के कमरों के ठीक पीछे है जहां शराब की खाली बोतलों के ढेर पड़ा है| इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है कि यह शराब की बोतलों का ढेर काफी लंबे समय से लगा है|  इस बीच कई स्वच्छता अभियान चलाए गए होंगे लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया।

ऐसा ही हाल परिसर में कई जगह नजर नजर आया। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और मंत्रियों के कार्यालय होने के बावजूद विधानसभा भवन परिसर के अंदर व्यवस्थाएं इतनी लचर क्यों बनी हुई हैं? यह तस्वीर सिर्फ एक जगह की नहीं हैं, विधानसभा सचिवालय में जगह-जगह पर इसी तरह शराब की बोतलें पड़ी है| जब जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालयों के पास ही यह हाल होंगे तो ऐसे में कैसे पीएम मोदी का यह सपना साकार हो पाएगा?