शंखनाद INDIA/ देहरादून

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरूवात हो गई है| नवरात्रि में हर घर और मंदिरों में आदिशक्ति मां भवानी के नौ स्वरूपों शैलपुत्री माता, ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंदमाता कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी माता और सिद्धिदात्री देवी की आराधना करने का विधान है। नवरात्रि के दौरान लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत करते हैं। खासतौर पर महिलाएं नवरात्रि के नौ व्रत अवश्य करती हैं। यह शक्ति की पूजा का पर्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, नवरात्र के साथ ही नवसंवत्सर की शुरुआत भी होगी। नवरात्र का समापन 22 अप्रैल को होगा|

जानें कैसे करें चौकी की स्थापना:

सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर पवित्र कर लें। इसके बाद चौकी को साफ कपड़े से पोछकर चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं। और  चौकी के दाएं ओर कलश रखें। इसके बाद चौकी पर मां दुर्गा की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें। फिर माता रानी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएं। धूप-दीपक आदि जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें। नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योत माता रानी के सामने जलाएं। और देवी मां को तिलक लगाएं। मां दुर्गा को चूड़ी, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प, हल्दी, रोली, सुहान का सामान अर्पित करें। इसके बाद मां दु्र्गा को इत्र, फल और मिठाई अर्पित करें। अब दुर्गा सप्तशती के पाठ देवी मां के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ करें। और मां दुर्गा की आरती उतारें। अब वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें। नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। जौ पात्र में जल का छिड़काव करते रहें।

जानें पहले दिन कौन सी माता की होती है पूजा:

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का विधिवत पूजन किया जाता है| इसी दिन से हिन्दू नववर्ष यानी नए संवत्सर की शुरुआत होती है| देवी के निमित्त अखंड ज्योति जलाकर भक्त नौ दिन के व्रत का संकल्प लेंगे। घरों और मन्दिरों में नौ दिनों तक श्रद्धापूर्वक मां भगवती की पूजा-अर्चना की जाएगी। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा| मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है| खासतौर पर महिलाओं को मां शैलपुत्री के पूजन से विशेष लाभ होता है| महिलाओं की पारिवारिक स्थिति, दांपत्य जीवन, कष्ट क्लेश और बीमारियां मां शैलपुत्री की कृपा से दूर होते हैं|

कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा:

मां शैलपुत्री की पूजा के लिए सबसे पहले एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें| मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें| ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें| जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें| अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें|ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म होंगे|

मां के दर्शन के लिए मंदिरों में भीड़:

आज सुबह से देभर में देवी मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु माता को जल अर्पित करने पहुंच रहे हैं। सुबह से भक्तों की लंबी लाइन मां के दर्शन करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं| हालांकि इस बार बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण मंदिरों में भक्तों की भीड़ में थोड़ा कमी जरूर दिख रही है| लेकिन जितने भी लोग मां के दर्शन करने पहुंच रहे थे अधिकांश श्रद्धालु अपने मुंह को मास्क से ढके हुए थे। नौ दिनों तक मां बड़ी देवी मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। इसस पहले पिछले साल मार्च महीने में जब चैत्र नवरात्र शुरू हुई थी उस समय लाकडाउन लग गया था और देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के आवागमन पर रोक लग गई थी, लेकिन इस साल मंदिर खुले हैं और सभी मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं ।