शंखनाद INDIA /
सड़क के बदले लाठियां डंडे नहीं सड़क दिजिएगा।आज उतराखंड की महिलाओं पर बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज ने त्रिवेंद्र सरकार और उत्तराखंड की मित्र पुलिस की पोल खोल दी। पहली बार ऐसा नहीं हुआ मित्र पुलिस ने अनेकों बार शर्मसार किया है। रणबीर इनकाउंटर से लेकर आजतक भी मित्र पुलिस सबक नहीं ले पाई है।दावे भले ही कितने कर लें लेकिन हर बार उत्तराखंड में ऐसा क्यों होता है? अशोक कुमार पुलिस महानिदेशक पुलिस रिफॉर्म पर जोर दे रहे हैं। लेकिन पुलिसकर्मियों ने आज जिस तरह चमोली जिले के गैरसैंण विधानसभा सत्र में जा रहे आंदोलनकारियों के पिटाई के वीडियो सामने आ रहें हैं। चौंकाने वाले वीडियो हैं। लेकिन पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने फेसबुक पोस्ट के जरिए कठोर कार्रवाई की बात की है। शंखनाद इंडिया ने भी चमोली डीएम स्वाति भदौरिया से बात की तो उनका भी कहना आंदोलन कारी अग्रेसिव हो गये थे।
आंसू गैस भी छोड़ी गई थी। पुलिस ने बलपूर्वक आंदोलनकारियों को हटाने की कोशिश की। लेकिन जिस तरह से महिलाओं पर मित्र पुलिस के जवान वीडियो में लाठी भांजते नजर आ रहे हैं।ऐसा लगता है महिला मित्र पुलिस नहीं दिखाई दे रही है। महिलाओं को रोकने के लिए महिला मित्र पुलिस क्यों नहीं? क्या पुलिस के पास लाठीचार्ज का आदेश था? किसके आदेश पर लाठीचार्ज हुआ? त्रिवेंद्र सरकार लाख कोशिशों के बाद भी सारा किया हुआ एक मिनट में खाक हो गया? बात सड़क की थी।९०दिनों से आंदोलनकारियों की बात क्यों नहीं सुनी गई? स्थानीय विधायक मुन्नी देवी शाह इतने दिनों से आंदोलनकारियों को विश्वास में नहीं ले पाई? स्थानीय विधायक महेन्द्र भट्ट बडी बडी पोस्ट लिखते हैं स्थानीय लोगों को विश्वास में नहीं ले पाए?
सवाल बहुत सारे हैं खोजने की कोशिश करेंगे तो अंत में मजिस्ट्रेट जांच की बात होगी? जांच में फिर वही ढाक के तीन पात। मामला प्रेस क्लब का था थानेदार डालनवाला यशपाल सिंह बिष्ट और चार पुलिसकर्मियों ने मेरे साथ थाने के लाकर में ही मारपीट कर दी थी?ऐसे ही २०१६मैं उत्तराखंड प्रेस क्लब मामले में भी एक मजिस्ट्रेट जांच बैठाई गई थी।उस जांच को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में सचिव, सुचना महानिदेशक मेहरबान सिंह बिष्ट थे। इसलिए आज लिख रहा हूं।तीन दिन पहले ही उनसे उतराखंड सुचना लोक संपर्क विभाग में मिला था।
उत्तराखंड में मित्र पुलिस के क्रूर चेहरे में अनेकों चेहरे छिपे हैं। जांच के नाम पर केवल इसी तरह होता रहेगा। सरकारों से उम्मीद कम है। त्रिवेंद्र की बहादुर सरकार ने आज जो किया है वह लोकतंत्र में अशोभनीय है। कुछ दिन पहले उतराखंड की महिलाओं को घसियारी योजना की शुभारंभ करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र जी आपसे यह उम्मीद नहीं है। आपने पहले भी अपने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए भी एक शिक्षिका के लिए कुछ कहा था। मुझे तो लगता है। उत्तराखंड की पहाड़ की महिलाएं चट्टान की तरह मजबूत हैं। भाजपा और कांग्रेस व अन्य राजनैतिक दल अपने फायदे के लिए उन्हें रेलियों में न ले जाएं। उन्हें न पिटवाएं।
वैसे ही राजनीतिक दल,वैसी ही सरकार,वैसी ही उत्तराखंड पुलिस? अभी सड़क पर बैठने का मुकदमा, फारेस्ट क्षेत्र का मुकदमा अनेकों मुकदमे झेलने होंगे। लेकिन यह लोग राजनीतिक रोटियां सैंक कर उत्तराखंड को कहां ले जाएंगे, सुना होगा आपने पुलिस की न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी , किसी भी कानून के दाव पेंच में कहां फंसा दें! लेकिन भोली भाली पहाड़ की महिलाओं पर लाठियां न बरसाएं। सड़क के बहाने आपकी ठेकेदारी, विधायकी, नेतागिरी चलती रहेगी,मोली पुलिस द्वारा पथराव में पुलिसकर्मी को फोटो डाली गई है। पथराव करना गलत है।उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। केवल पुलिष ही घायल हुए?जिन मां बहिनों पर लाठियां भांजी गई? कोई अपनी मां बहिनों पर पुरुष लाठी भांजते देखा है? महिला पुलिस कहां थी? महिलाओं के लिए महिला पुलिस होनी चाहिए थी?लेकिन जिस तरह मातृभूमि में मां बहिनों पर लाठियां भांजी गई?
सवाल चमोली पुलिस से भी आपकी एलआईयू फेल साबित हुई है।खाकी जनसेवा के लिए मिली है।न कि जनता की पिटाई के लिए।मित्र पुलिस के नाम धब्बा है? जिस तरह कानून के रखवाले आम लोगों पर बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज कर रही है।वह गलत है। किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया? दोषी पुलिसकर्मियों को सरकार तुरंत बर्खास्त करे।कितनी मां बहिनों पर बर्बरतापूर्ण लाठी चलाई? एकपक्षीय फोटो डालकर क्या कहना चाहते हैं? सवाल यह है किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया गया? पुलिस संयम खो गई? पुलिस की ट्रेनिंग में कमी है? लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन कोई पहली बार नहीं हो रहा है।
उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है।इस लाठीचार्ज पर जितनी भर्त्सना की जाए उतना कम है। पुलिस बड़े बड़े दावे करती है नाम भी मित्र पुलिस दिया गया है।उस मित्र पुलिस की भूमिका को समझें।मित्र शब्द दिया गया है। जनता कैसे मित्र पुलिस भरोसा करें?इस तरह लाठीचार्ज करना कितना सही है। उत्तराखंड में पुलिस पर सवाल उठते हैं। शर्मशार करने वाली घटना है। चमोली शासन प्रशासन से आग्रह है दोषी पुलिसकर्मिर्यों पर तुरंत कार्रवाई करें। चमोली डीएम भी महिला है। महिला डीएम की अगुवाई में महिलाओं पर लाठीचार्ज किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।