देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य के अशासकीय स्कूलों में शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के स्वीकृत पदों पर हो रही भर्तियों पर कड़ा रुख अपनाया है। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसे सभी पद, जो तीन माह या उससे अधिक समय से रिक्त हैं और जिनका पुनर्जीवन स्कूल प्रबंधन द्वारा नहीं कराया गया है, उन पर किसी भी प्रकार की भर्ती या तबादले की प्रक्रिया नहीं की जाएगी।

शिक्षा सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती को निर्देश दिए हैं कि वे पंद्रह दिन के भीतर प्रदेश के सभी अशासकीय स्कूलों में स्वीकृत पदों, रिक्तियों और अब तक की गई कार्रवाई का विस्तृत ब्योरा शासन को उपलब्ध कराएं। सूत्रों के अनुसार शासन के संज्ञान में आया है कि कई अशासकीय स्कूलों में भर्तियों के दौरान निर्धारित मानकों और नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे पदों पर भी नियुक्तियां और तबादले किए जा रहे हैं, जो नियमों के अनुसार मान्य नहीं हैं।

शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम, 2006 में पदों की निरंतरता और भर्तियों को लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं। अधिनियम के अनुसार यदि कोई पद तीन माह तक रिक्त रहता है और उस पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाती, तो उसे अस्थायी रूप से निरस्त (अभ्यर्पित) माना जाता है। ऐसे पदों को तब तक नहीं भरा जा सकता, जब तक निदेशक स्तर से उनका पुनः सृजन न कर दिया जाए।

शिक्षा सचिव ने यह भी साफ किया है कि अमान्य पदों पर नियुक्त शिक्षक और कर्मचारियों को सरकार की ओर से किसी भी प्रकार का वेतन या भत्ता अनुदान नहीं दिया जाएगा। उन्होंने सभी स्कूल प्रबंधनों को निर्देश दिए हैं कि केवल नियमों के अनुरूप मान्य पदों पर ही भर्तियों की प्रक्रिया अपनाई जाए। वर्तमान में राज्य के कई अशासकीय स्कूलों में चल रही भर्तियों के मद्देनजर यह आदेश बेहद अहम माना जा रहा है।