पिथौरागढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीब 11 साल पुराने ड्रीम प्रोजेक्ट और प्रस्तावित एशिया के सबसे बड़े पंचेश्वर बहुउद्देशीय बांध का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़े इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर हलचल तब तेज हुई, जब उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज पिथौरागढ़ दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि “पंचेश्वर धाम बनकर ही रहेगा” और बांध निर्माण के स्पष्ट संकेत दिए।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पंचेश्वर बांध बनने के बाद क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं खुलेंगी। उन्होंने दावा किया कि डैम बनने पर सीप्लेन और हाइड्रो प्लेन भी यहां आसानी से उतर सकेंगे, जिससे सीमांत जिले में पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस परियोजना को लेकर नेपाल के साथ बातचीत अभी शेष है।

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद पंचेश्वर बांध को उनके ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में पेश किया गया था। शुरुआती वर्षों में परियोजना पर तेजी से काम हुआ। वाप्कोस कंपनी ने इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की और वैज्ञानिकों की टीम ने स्थल पर मिट्टी परीक्षण (सॉयल टेस्टिंग) भी की। वर्ष 2016 से 2018 के बीच भारत और नेपाल के अधिकारियों के बीच कई उच्चस्तरीय बैठकें हुईं। डूब क्षेत्र में आने वाले भारतीय गांवों में जनसुनवाई भी कराई गई।

हालांकि, बांध निर्माण को लेकर खतरे भी सामने आए। परियोजना के तहत भारत और नेपाल के करीब 116 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के जलमग्न होने की आशंका जताई गई थी। पिथौरागढ़ के साथ-साथ अल्मोड़ा और चंपावत जिले के कई गांव डूब क्षेत्र में चिह्नित किए गए। जल और बिजली के बंटवारे को लेकर नेपाल की आपत्तियों के चलते परियोजना धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चली गई और वर्ष 2020 के बाद इस पर चर्चा लगभग समाप्त हो गई।

अब कैबिनेट मंत्री के ताजा बयान के बाद एक बार फिर पंचेश्वर बांध को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।