देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत को एआई-जनरेटेड वीडियो के जरिए पाकिस्तान का जासूस बताए जाने के मामले ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। हरीश रावत ने इस कथित दुष्प्रचार के खिलाफ नेहरू कॉलोनी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है और अब भाजपा के इस कृत्य के विरुद्ध अदालत जाने की तैयारी भी कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने गांव स्तर के प्रधानों, जनप्रतिनिधियों और आम लोगों को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी देने का ऐलान किया है।

मीडिया से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि वह स्वयं पुलिस स्टेशन पहुंचे थे, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने में करीब चार घंटे का समय लगा। यह स्थिति आम नागरिकों को होने वाली परेशानियों को दर्शाती है। उन्होंने कहा, “मैं इस घटिया दुष्प्रचार का पर्दाफाश करूंगा। किसी की देशभक्ति पर सवाल उठाने वाले आप कौन होते हैं? यह भाजपा की उस नफरत की पराकाष्ठा है, जो वह अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए रखती है।”

हरीश रावत ने भाजपा पर आरोप लगाया कि सोशल मीडिया के माध्यम से एआई तकनीक का दुरुपयोग कर उनकी छवि खराब करने और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष और उनके सहयोगियों को इस पूरे प्रकरण के लिए जिम्मेदार ठहराया और विश्वास जताया कि एफआईआर के बाद दोषियों को सजा मिलेगी। पुलिस ने उनकी शिकायत के आधार पर सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया है।

गौरतलब है कि भाजपा के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर हाल ही में एक एआई-जनरेटेड रील अपलोड की गई थी, जिसमें हरीश रावत को तुष्टीकरण का समर्थक दिखाया गया। रील में दरगाह निर्माण और ‘देवभूमि’ को बदलने जैसे संवाद शामिल थे। इसके अलावा, एक अन्य कथित फर्जी प्लेटफॉर्म से अपलोड किए गए वीडियो में हरीश रावत को पाकिस्तानी एजेंट और गद्दार बताया गया। हालांकि भाजपा ने इस दूसरे वीडियो से किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार किया है।

फिलहाल, एफआईआर दर्ज होने के बाद मामले ने कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर तूल पकड़ लिया है।