देहरादून। देहरादून में पोक्सो कोर्ट ने देह व्यापार के एक पुराने मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने जांच में गंभीर लापरवाही का मुद्दा उठाया और कहा कि जिस संपत्ति में अनैतिक देह व्यापार जैसा अपराध होता है, उसके मालिक की जिम्मेदारी भी उतनी ही बनती है। बिना मालिक की मौन स्वीकृति के ऐसे धंधे का संचालित होना संभव नहीं है।
यह मामला विकासनगर थाना क्षेत्र का है, जिसकी एफआईआर 27 जनवरी 2018 को दर्ज की गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बस अड्डे के पास एक होटल में छापेमारी की थी, जहां एक कमरे में ग्राहक को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया गया। बगल के कमरे से एक नाबालिग लड़की भी बरामद हुई थी।
पूछताछ में महिलाओं ने मुख्य आरोपी नावेद अली पर आरोप लगाया था कि उसने नौकरी का लालच देकर उन्हें यहां लाया और देह व्यापार के लिए मजबूर किया। होटल मैनेजर सूरत सिंह पर भी बिना आईडी सस्ते दर पर कमरे उपलब्ध कराने और अवैध गतिविधि में सहयोग करने का आरोप था।
हालांकि कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष ठोस साक्ष्य पेश करने में विफल रहा। कई महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच अधूरी रही और होटल मालिक सहित अन्य संभावित जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई नहीं की गई।
जज रजनी शुक्ला ने निर्णय की प्रति जिलाधिकारी और एसएसपी को भेजते हुए विवेचना में हुई लापरवाही पर विभागीय स्तर पर कार्रवाई और जांच प्रक्रियाओं में सुधार के निर्देश दिए।
