हल्द्वानी। वनभूलपुरा स्थित रेलवे भूमि पर अतिक्रमण मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित है। कोर्ट में सुनवाई से पहले क्षेत्र के लोग यह साबित करने की कोशिश में लग गए हैं कि वे कई दशकों से यहां रह रहे हैं और पुराने निवासी हैं। इसी क्रम में 75 से 85 वर्ष तक के बुजुर्ग भी अपने पुराने दस्तावेज जुटाने में लगे हुए हैं।

1944 में स्थापित राजकीय प्राथमिक विद्यालय वनभूलपुरा में पिछले एक माह से प्रमाण पत्र लेने वालों की भीड़ उमड़ी है। प्रधानाध्यापिका कविता पंत ने बताया कि नवंबर माह में 38 लोगों को स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) जारी किए गए हैं, जबकि अब तक 300 से अधिक लोग आवेदन दे चुके हैं। अधिकांश लोग 1954-55 के प्रमाण पत्र ले रहे हैं ताकि यह सिद्ध कर सकें कि वे लंबे समय से यहां निवास कर रहे हैं। आवेदनकर्ताओं में 55 से 85 आयु वर्ग के लोगों की संख्या अधिक है।

लाइन नंबर 17 निवासी मोहम्मद हनीफ, जिनका जन्म 1945 में हुआ, बताते हैं कि उनके पूर्वज हल्द्वानी में रहते थे। वे 1955 में इसी विद्यालय में पढ़े थे और अब स्वयं को स्थायी निवासी सिद्ध करने के लिए प्रमाण पत्र ले रहे हैं। लाइन नंबर 18 निवासी 71 वर्षीय मोहम्मद अयूब भी इसी उद्देश्य से स्कूल पहुंचे।

दस्तावेजों में नाम और जन्मतिथि की गड़बड़ियों के कारण कई लोग परेशानी में हैं। कुछ परिवार एक साथ 8-10 लोगों के दस्तावेज लेने पहुंच रहे हैं, जिससे विद्यालय में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। वर्तमान में स्कूल में कक्षा एक से पांच तक 268 बच्चे पढ़ते हैं। नौ शिक्षकों पर दस्तावेज सत्यापन का अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है।

जिला शिक्षाधिकारी (प्राथमिक) एचबी चंद ने कहा कि पुराने दस्तावेज लेने के कारणों की पुष्टि के लिए अब लोगों से शपथ पत्र लिया जाएगा। वहीं बार एसोसिएशन अध्यक्ष कमल किशोर पंत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, लेकिन यदि पुनर्वास की आवश्यकता पड़ी तो ये दस्तावेज भविष्य में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।