आठ वर्षों से जनता के धन का दुरुपयोग, सीएजी रिपोर्ट से खुलासा

देहरादून। उत्तराखंड पेयजल निगम में पिछले आठ वर्षों से चल रही वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा खुलासा सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता विकेश सिंह नेगी ने सीएजी (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि वर्ष 2016 से मई 2024 के बीच निगम में लगभग 2660 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय घोटाला दर्ज किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ अनियमितता नहीं, बल्कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से किया गया संगठित आर्थिक अपराध है।

नेगी के अनुसार वर्ष 2017-18 और 2018-19 में निगम का ऑडिट ही नहीं हुआ, जो वित्तीय नियमों का उल्लंघन है। सीएजी रिपोर्ट में विभिन्न वर्षों में दर्ज अनियमितताओं में 2016-17 में 92.41 करोड़, 2019-20 में 656.05 करोड़, 2020-21 में 829.90 करोड़, 2021-22 में 43.48 करोड़, 2022-23 में 96.99 करोड़, 2023-24 में 803 करोड़ और 2024-25 (मई तक) 38.41 करोड़ रुपये की गड़बड़ियाँ शामिल हैं। नेगी ने आरोप लगाया कि कोरोना काल के बीच हुआ 829.90 करोड़ रुपये का घोटाला शासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

उन्होंने बताया कि कई ठेकेदारों ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया, फिर भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। कई परियोजनाओं में बिना कार्य पूर्ण किए तथा बिना बैंक गारंटी जमा कराए करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। निर्माण कार्यों में घटिया गुणवत्ता और रॉयल्टी वसूली में लापरवाही के भी आरोप लगाए गए हैं।

नेगी ने यह भी सवाल उठाया कि इतनी गंभीर रिपोर्ट अब तक विधानसभा में पेश क्यों नहीं की गई। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मामले की जांच उच्चस्तरीय समिति, एसआईटी, विजिलेंस या सीबीआई से कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यह “जनता के कर के पैसों की खुली लूट” है और सरकार को दोषियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।