देहरादून। देहरादून में आयोजित लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भारत की विकास गति, सैन्य क्षमता, तकनीकी बदलावों और महिलाओं की समान भागीदारी पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए रक्षा बजट बढ़ाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। उनके अनुसार, “शक्ति के बिना शांति असंभव है,” इसलिए भारत को अपनी सामरिक क्षमता को निरंतर मजबूत करना होगा।
जनरल नरवणे ने कहा कि देश के सामने हर वर्ष नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, जिनसे निपटने के लिए सैन्य तकनीक, रणनीति और प्रशिक्षण को आधुनिक समय के अनुरूप ढालना जरूरी है। उन्होंने बताया कि चीन भारत का बड़ा प्रतिद्वंद्वी है और आर्थिक मोर्चे पर प्रगति के लिए भारत की विकास दर को दोहरे अंकों में पहुंचाना होगा। साथ ही, एआई, मशीन लर्निंग, रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्रों में तेजी से काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना समय की मांग है। युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देने और अग्निवीर जैसी योजनाओं को उन्होंने देशहित में बताया।
दून से अपने जुड़ाव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि देहरादून उनके लिए दूसरा घर है। भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान यहां की यादें हमेशा उनके साथ रही हैं। उन्होंने दून को बेहद सुंदर शहर बताते हुए इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने पर जोर दिया।
