संविदाकर्मी

पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में संविदा कर्मियों को हटाने पर विवाद हो गया है। उत्तराखंड जलसंस्थान श्रीनगर में सालों से काम कर रहे संविदा श्रमिकों को हटाने पर संविदा कर्मियों ने आंदोलन की चेतावनी दे दी है।

श्रीनगर में संविदा श्रमिकों को हटाने पर उठा विवाद

उत्तराखंड जलसंस्थान श्रीनगर में बीते 20 से 25 वर्षों से कार्यरत 38 संविदा श्रमिकों को हटाए जाने के बाद मामला गरमा गया है। हटाए गए श्रमिकों ने इस निर्णय को अन्यायपूर्ण बताते हुए इसके खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद की है।
ज़ेम पोर्टल के माध्यम से खुले टेंडर में नये संविदा कर्मचारियों की भर्ती प्रकिया चल रही हैं।

इतने साल काम का ये ईनाम क्यों ?

जलसंस्थान के माध्यम से दशकों तक जलापूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में अपनी जिम्मेदारियां निभाने वाले ये श्रमिक अब अचानक खुद को बेरोजगार पाए जाने पर सवाल उठा रहे हैं कि वर्षों की निष्ठा और सेवा का ये इनाम क्यों?

श्रमिकों का आरोप है कि कोरोना जैसी महामारी के समय में भी जब पूरा देश लॉकडाउन से जूझ रहा था, तब भी उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना जल सेवाएं जारी रखीं। लेकिन आज उन्हें बिना किसी स्पष्ट कारण के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, और उनकी जगह नई भर्तियां शुरू कर दी गई हैं।

संविदा कर्मियों ने की आंदोलन की घोषणा

अपने रोजगार की बहाली और न्याय की मांग को लेकर सभी 38 श्रमिकों ने 15 जुलाई 2025 को जल संस्थान मुख्य पंप हाउस से शांति पूर्ण ‘रोज़ी-रोटी बचाओ पथ मार्च’ करने की घोषणा की है। जो उपजिलाधिकारी कार्यालय, तहसील श्रीनगर तक जाएगा।