काफल

पहाड़ों पर होने वाले काफल के तो लोग दिवाने तो हैं ही लेकिन ये लाजवाब फल एक या दो ही महीने सीजन के समय ही उपलब्ध होता है। अगर हम कहें कि अब आप इसका स्वाद साल भर ले सकते हैं तो क्या आप यकीन करेंगे। नहीं ना लेकिन ये सच है। इस बात को अल्मोड़ा के दीपक पेटशाली ने सच कर दिखाया है। दीपक ने जंगलों में मिलने वाले काफल फल से हर्बल चाय बनाई है। जिस से इसका स्वाद आप कहीं भी और कभी भी ले सकते हैं।

अल्मोड़ा के दीपक ने काफल से बना दी चाय

जब भी उत्तराखंड में पलायन की चर्चा होती है तो सवाल उठता है कि क्या पहाड़ों में रहकर रोज़गार संभव है ? अल्मोड़ा जिले के पेटशाल गांव निवासी दीपक पेटशाली ने इस सवाल का जवाब अपने नवाचार से दिया है। उन्होंने जंगलों में मिलने वाले काफल से हर्बल चाय बनाई है। ये चाल ना केवल उत्तराखंड में बल्कि देश-विदेश में काफी पसंद की जा रही है।

kafal

दीपक पेटशाल ने ‘Back to Nature’ ब्रांड से अपनी कहानी शुरू की है। दीपक ने अपने ब्रांड Back to Nature के तहत काफल की चाय बनानी शुरू की। आपको बता दें कि दीपक की चाय लोगों को सिर्फ स्वाद ही नहीं दे रही है, बल्कि काफल की चाय सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी और औषधीय गुण इसे एक हेल्दी विकल्प बनाते हैं। ये चाय एनीमिया, अस्थमा, कब्ज, गैस, जुकाम जैसी समस्याओं में राहत देती है।

काफल की चाय कैसे बनती है? (How Kafal tea made?)

काफल की चाय बनाने के लिए सबसे पहले उत्तराखंड के पहाड़ों और जंगलों से काफल फल लाकर अच्छे से धोकर और सुखाया जाता है। उसकी पत्तियों को भी सुखाकर चाय मिश्रण में मिलाया जाता है। इसके साथ ही इसमें तुलसी, इलायची, लौंग जैसे औषधीय तत्व डाले जाते हैं। जो इसके स्वाद को और भी बढ़ा देते हैं। दीपक काफल के अलावा बुरांश, तुलसी, मिंट और नैटल जैसी अन्य हर्बल चाय भी बनाते हैं। सोशल मीडिया के जरिए भी दीपक को ग्राहकों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

kafal tea

दीपक ने युवाओं के लिए पेश की मिसाल

कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विभागाध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी ने भी दीपक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि काफल की चाय वाकई स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समर्थन मिलता है। जहां एक ओर युवा पहाड़ छोड़ने की होड़ में हैं। वहीं दीपक पेटशाली जैसे युवा ये साबित कर रहे हैं कि अगर सोच अलग हो और हौसला मजबूत, तो पहाड़ की पगडंडियां भी कामयाबी की सीढ़ी बन सकती हैं। दीपक की काफल चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक सोच है कि “अगर जुनून हो तो पहाड़ों से भी दुनिया तक पहुंचा जा सकता है।”