श्याम सिंह रावत

नरेंद्र मोदी सरकार महंगाई पर संसद में बहस क्यों नहीं करना चाहती? क्योंकि संसद में महंगाई को लेकर बहुत से सवाल उठेंगे। सरकार के पास क्या जवाब है?पूछा जाएगा कि बीते पांच साल में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर 16 लाख करोड़ की जो लूट हुई है, उसका पैसा कहां खर्च किया गया?

यह भी पूछा जाएगा कि शिक्षा से लेकर कृषि के ढांचागत विकास के नाम पर उपकर से जो 1.51 लाख रुपए लूटे गए, वह पैसा कहां गया?यह भी तो पूछा जाएगा कि देश में चल रहे अमृतकाल के दौरान गुजरात समेत कई राज्य गले तक बाजार के कर्ज में क्यों डूबे हुए हैं? वह भी तब, जबकि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने गुजरात को भारी-भरकम कर्ज के बारे में आगाह किया है?
क्या मोदी सरकार इस सवाल का जवाब दे पाएगी कि देश की अर्थव्यवस्था अगर कोविड पूर्व के कालमें आ चुकी है तो सरकार पर जीडीपी के 60% से भी ज्यादा देनदारी क्यों है?
ऐसे समय में जबकि देश में जीडीपी के मुकाबले टैक्स का अनुपात इतिहास में सबसे ज्यादा है, ऊपर से जीएसटी लगाकर सरकार ने आम लोगों की कमर तोड़ रखी है, मोदी सरकार ज़रा बताए कि इस अंधी लूट का सारा पैसा किस काम पर खर्च हो रहा है?
देश में युवाओं की बेरोजगारी दर 28% के अभूतपूर्व रिकॉर्ड को क्यों छू रही है?
मोदी सरकार के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने बीते 8 साल में सिवाय चेहरा चमकाने के, जिस चीज में हाथ डाला, उसे तहस-नहस कर डाला। वे देश चलाने के काबिल ही नहीं हैं।मोदी सरकार के लिए दिन-रात दलाली में आकंठ डूबी गोदी मीडिया के लिए संसद भले ही सियासी तमाशे का मंच हो, लेकिन संसद सरकारी दस्तावेजों का खज़ाना है।
मोदी जिस 70 सालों के कांग्रेसी राज को दिन-रात कोसते हैं, उसका लेखा-जोखा भी ज़रा देख लें।

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