उत्तराखंड में और खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल है इसके बारे में जानना है तो गैरसैंण की ये खबर जरुर पढ़ें जहां डॉक्टरों ने गजब का कारनाम कर दिखाया। अब इस मामले के बाद से पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

बता दें कि मामला गैरसैंण का रविवार का है. बीते दिन प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को उसके परिजना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए नवजात का पैर बाहर निकला देख डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया जिसके बाद एंबुलेंस में फार्मासिस्ट की मदद से महिला का प्रसव हुआ। आरोप है कि डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की दिल की धड़कन बंद हो गई है इसलिए इसे रेफर कर रहे हैं।

गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के तोक खोलीधार निवासी कुसुम देवी (23) रविवार को करीब डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद सड़क तक पहुंची। यहां से परिजन उसे टैक्सी से करीब 18 किमी दूर सीएचसी चौखुटिया लाए। कुसुम को बहुत दर्द हो रहा था जिसे परिजन ही समझ सकते थे। बच्चे के दोनों पैर बाहर निकल आए थे। डिलीवरी कराने की जगह डॉक्टरों ने प्रसव से इंकार कर दिया और कहा कि बच्चे की धड़कन बंद हो चुकी है। ज्यादा देरी करने पर महिला और बच्चे दोनों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

महिला के परिजनों का आरोप है कि एक डॉक्टर ने पुलिस बुलाने की धमकी तक दे डाली। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की दिल की धड़कन बंद हो गई थी। एक डॉक्टर का कहना था कि गर्भवती को रेफर कर तुरंत जाने को कहा गया था लेकिन परिजन देरी कर रहे थे और इसी कारण पुलिस बुलाने की बात कही गई लेकिन परिजन इसे गलत समझ रहे हैं।

महिला के परिजनों का कहना है कि उन्होने डॉक्टरों से लाख अपील की कि डिलीवरी कर दो लेकिन वो नहीं माने, फिर इसके बाद एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा नहीं होती तो जच्चा-बच्चा दोनों का बचना मुश्किल था। खंपा उनके लिए भगवान साबित हुई।

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