अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल पुराने कानून पर फैसला सुनाते हुए उसे पलट दिया है। बता देंकि अमेरिकी एचसी ने अपने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया है जिसके बाद देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक़ क़ानूनी रहेगा या नहीं इसे लेकर अमेरिका के अलग-अलग राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.माना जा रहा है कि इसके बाद आधे से अधिक अमेरिकी राज्य गर्भपात क़ानून को लेकर नए प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.

13 राज्य पहले ही ऐसे क़ानून पारित कर चुके हैं जो गर्भपात को ग़ैरक़ानूनी करार देते हैं, ये क़ानून सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद लागू हो जाएंगे.अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 50 साल पुराने रो बनाम वेड मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिलाओं ने आवाज बुलंद कर ली है और सेक्स स्ट्राइक कर दी है। महिलाओं का कहना है कि गर्भपात का अधिकार मिलने पर ही संबंध बनाएंगे .

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

कोर्ट ने कहा कि संविधान गर्भपात का कोई संदर्भ नहीं देता है, और ऐसा कोई अधिकार किसी भी संवैधानिक प्रावधान द्वारा निहित रूप से संरक्षित नहीं है. 1973 के फैसले को पलटने से फिर से अलग-अलग अमेरिकी राज्यों को गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिल जाएगी. कम से कम 26 राज्यों से ऐसा तुरंत या जल्द से जल्द करने की उम्मीद है.

गर्भपात का मुद्दा क्यों उठा?

दरअसल, हाल ही में अमेरिका में गर्भपात कराने के मामलों में काफी वृद्धि हुई है. महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया जाए या नहीं इसमें धार्मिक कारक भी शामिल रहे हैं. ये रिपब्लिकन्स और डेमोक्रेट्स के बीच विवाद का मुद्दा भी रहा है. ये विवाद 1973 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था जिसे रो बनाम वेड केस के नाम से जाना जाता है.