शंखनाद INDIA / शिमला : प्रदेश में खुले निजी नर्सिंग संस्थानों को एनओसी जारी करने में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सूबे में कई नर्सिंग संस्थानों ने 150 बेड का अस्पताल दिखाने का नियम ताक पर रखते हुए निजी के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों से भी सांठगांठ कर सरकार की आंखों में धूल झोंकी है। संबंधित विभागों ने भी मामले की जांच की जगह आंखें मूंदी हुई है। प्रदेश में निजी क्षेत्र में 48 नर्सिंग स्कूल और कॉलेज चल रहे हैं। राज्य शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के पास इस बाबत शिकायतें पहुंची हैं। आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है। अब सभी नर्सिंग संस्थानों का निरीक्षण किया जाएगा। कई संस्थानों में स्टाफ की भी भारी कमी है। विनियामक आयोग के पास पहुंची शिकायतों में बताया गया है कि भारत सरकार के नियमानुसार नर्सिंग संस्थानों को एनओसी तभी मिल सकती है, जब उनके पास 150 बिस्तरों का अस्पताल हो।

प्रदेश में 20 से 40 बिस्तरों के अस्पतालों और प्राइमरी हेल्थ सेंटर से जुड़े संस्थानों को भी एनओसी जारी की गई हैं। विद्यार्थी और मरीजों का 1:3 अनुपात होना अनिवार्य है, लेकिन इसकी भी अनदेखी की गई है। कई संस्थानों ने तीन से चार निजी अस्पतालों से खुद को संबद्ध बताते हुए 150 बिस्तरों की संख्या दिखाते हुए नियमों को पूरा किया है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों से कई नर्सिंग संस्थानों ने स्वयं को जोड़ा बताया है। शिकायत के मुताबिक इस तरह के हथकंडे अपनाकर नर्सिंग संस्थान विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिन अस्पतालों से नर्सिंग संस्थान स्वयं को संबद्ध बता रहे हैं, वहां जाकर विद्यार्थियों का प्रशिक्षण भी नहीं हो पा रहा है। निजी अस्पतालों में व्यवस्थाओं की कमी और सरकारी अस्पतालों में भारी व्यस्तता के चलते यह समस्या आ रही है। नर्सिंग कोर्स करने के लिए विद्यार्थियों से लाखों रुपये की फीस वसूली जा रही है।

शिक्षा की गुणवत्ता से सहन नहीं होगा खिलवाड़: कौशिक

विनियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि प्रदेश के निजी नर्सिंग संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ सहन नहीं किया जाएगा। नर्सिंग संस्थानों को जारी एनओसी संदेह के घेरे में है। इस बाबत कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

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