शंखनाद INDIA/ नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट पेगासस जासूसी मामले की जांच को लेकर आज फैसला सुनाने वाली हैं। बता दे, चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को इस्राइल के पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं के एक समूह पर अंतरिम निर्देश जारी करने के मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। आगे पढ़े

वही आपको बता दे, केंद्र सरकार की ओर से आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र सदस्यों के एक विशेषज्ञ पैनल के गठन का प्रस्ताव रखा गया था। केंद्र ने विशेषज्ञ पैनल के समक्ष विवरण का खुलासा करने का भी आश्वासन दिया था। हालांकि सरकार ने एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किसी विशेष सॉफ्टवेयर के उपयोग या गैर-उपयोग पर इस तरह से बहस नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि वह नहीं चाहता कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता हो। कोर्ट ने कहा था कि वह सिर्फ यह जानना चाहता है कि केंद्र ने गैरकानूनी तरीके से पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं? उस समय कोर्ट ने कहा था कि दो-तीन दिनों में अंतरिम आदेश पारित किया जाएगा। 23 सितंबर को चीफ जस्टिस ने ओपन कोर्ट में इस्राइल के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए नागरिकों खासकर विपक्षी दल के नेताओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं आदि पर जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति गठित करने के संकेत दिए थे।

क्या है पेगासस जासूसी मामला

पेगासस संबंधित फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने में सक्षम है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है। पेगासस सॉफ्टवेयर को जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है। तकनीक जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप भी सुरक्षित नहीं। क्योंकि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। पेगासस एक स्पाइवेयर (जासूसी साफ्टवेयर) है, जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ ने बनाया है। इसका दूसरा नाम क्यू-सुईट भी है।

क्यों खतरनाक

किसी फोन में सिर्फ मिस कॉल के जरिए इसे इंस्टॉल किया जा सकता है। इसे यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में डाला जा सकता है। एक बार फोन में पहुंच जाने के बाद इसे हटाना आसान नहीं होता।

कैसे काम करता है

ये एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।

 

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें