सरकारी स्कूल बंद

प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के कई दावों के बीच भी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 1671 प्राथमिक स्कूल बंद हो गए हैं। पहाड़ों पर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के दावों के बीच शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है।

उत्तराखंड में 1671 प्राथमिक स्कूल बंद

हाल ही में महानिदेशक शिक्षा ने राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से जिलों में बंद हो चुके विद्यालयों की रिपोर्ट ली। रिपोर्ट चौंका देने वाली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक  प्रदेश के 3,573 प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या 10 या फिर इससे भी कम रह गई है। छात्र न होने की वजह से राज्य भर में 1671 प्राथमिक स्कूल बंद हो चुके हैं।

पौड़ी जिले में बंद हुए सबसे ज्यादा स्कूल

सबसे ज्यादा स्कूल पौड़ी जिले में बंद हुए हैं। बंद होने वाले स्कूलों में सबसे ज्यादा 315 स्कूल पौड़ी जिले के हैं जबकि सबसे कम 3 स्कूल हरिद्वार जिले के हैं। ऊधमसिंह नगर जिले में 21 स्कूल बंद हुए हैं। अल्मोड़ा जिले में 197 बागेश्वर में 53 , चमोली में 133 , चंपावत में 55 देहरादून में 124 , हरिद्वार में 24 , नैनीताल में 82 ,पौड़ी में 315 , पिथौरागढ़ में 224, रुद्रप्रयाग में 53 , टिहरी गढ़वाल में 268 और उत्तरकाशी जिले में 122 स्कूलों में ताला लटक चुका है।

पर्वतीय जिलों में बंद हो रहे ज्यादा स्कूल

इस रिपोर्ट के मुताबिक पर्वतीय जिलों में ज्यादातर स्कूल बंद हो रहे हैं। पहाड़ों पर लगातार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के दावों के बीच ये रिपोर्ट दावों की पोल खोलने वाली है। पर्वतीय जिलों में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का बंद होना एक गलत संकेत है। हजारों करोड़ रुपए का बजट खर्चे करने के बाद भी प्राथमिक विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं नहीं है।

स्कूलों में नहीं है बुनियादी सुविधाएं

शिक्षा विभाग की एक आंतरिक रिपोर्ट में बताया गया है कि आज भी 11580 प्राथमिक विद्यालयों और 943 उच्च प्राथमिक स्कूलों विद्यालयों में छात्रों के लिए शौचालय नहीं है। 884 विद्यालयों में छात्राओं के लिए पृथक शौचालय नहीं हैं। 875 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। 1968 स्कूल में बिजली की सुविधा नहीं है। 91 स्कूल भवनहीन है। 5022 स्कूल भूमिहीन है। 5957 स्कूल में खेल के मैदान ही नहीं हैं।