उत्तरकाशी- 1 अप्रैल
रिपोर्ट- वीरेंद्र सिंह
वन विभाग की ओर से गंगोत्री नेशनल पार्क का गेट पर्यटकों और पर्वतारोहियों के लिए आज एक अप्रेल से खोल दिए गए हैं. हालाँकि अभी वन प्रशासन द्वारा नेशनल पार्क अभी पर्यटकों के लिए एक माह रुकना पड़ सकता हैं. नेशनल पार्क के रास्तो पर अभी बड़े छोटे ग्लेशियर होने के कारण अभी पर्यटकों को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. गंगोत्री नेशनल पार्क करीब 2,390 वर्ग किमी में फैला हुआ है.
उत्तराखंड का एक प्राकृतिक रूप से सुंदर और रोमांचक पर्यटन स्थल गंगोत्री नेशनल पार्क आज खुल गया है. अब अगले 6 महीने के लिए रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता के शौकीन यहां जा सकते हैं. हम आपको बताते हैं कि गंगोत्री नेशनल पार्क में आप किन दर्शनीय पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं.वन विभाग की ओर से गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट पर्यटकों और पर्वतारोहियों के लिए विधिवत खोल दिए गए हैं. पार्क प्रशासन की और से गौमुख-तपोवन ट्रैक के कनखू बैरियर पर गेट का ताला विधिवत पूजा पाठ के साथ खोला गया. गंगोत्री नेशनल पार्क करीब 2,390 वर्ग किमी में फैला हुआ है.
यह नेशनल पार्क दुर्लभ वन्य जीवों स्नो लेपर्ड सहित भरल, भूरा भालू आदि का घर माना जाता है. यहां गौमुख से गंगा का उद्घगम स्थल होने के साथ ही गंगोत्री ग्लेशियर में समुद्रतल से 4,000 मीटर से लेकर 7 हजार मीटर ऊंची-ऊंची चोटियां हैं. इसके साथ ही इसके तहत गंगोत्री धाम और नेलांग घाटी भी शामिल हैं. नेलांग घाटी भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा (चीन के कब्जे वाले तिब्बत) को जोड़ती है. नेलांग तक वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने पर्यटकों के जाने की अनुमति दी थी. वहीं इस पार्क के अंतर्गत गड़तांग गली भी शामिल है. आइए अब आपको याहं के दर्शनीय पर्यटक स्थलों के बारे में बताते हैं. गरतांग गली- भारत तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह गरतांग गली भैरवघाटी के समीप है. खड़ी चट्टान को काटकर तैयार यह रास्ता स्काई वॉक जैसा अनुभव प्रदान करता है. वर्ष 2021 में ही इसका जीर्णोद्धार कर इसे खोला गया था. रोमांचक पर्यटन के शौकीनों के लिए ये पसंदीदा स्थल है. केंद्र सरकार से यहां पर्यटन की अनुमति मिलने के बाद साहसी पर्यटक रोमांच का अनुभव करने यहां आते हैं. नेलांग घाटी- इस घाटी की भौगोलिक परिस्थितियां लद्दाख और स्फीति घाटी व् छितकुल घाटी से मेल खाती हैं. ये गंगोत्री से 18 किमी की दूरी पर स्थित है. घाटी से भारत-चीन सीमा की अग्रिम चौकियों के लिए सड़क जाती है. इसे छोटा लद्दाख भी कहा जाता है. यहां अक्सर बर्फ पड़ती है, जिस कारण चोटियां बर्फ से ढकी रहती हैं और तापमान शून्य से नीचे चला जाता है.
कालिंदीखाल ट्रेक- यह ट्रेक रूट गंगोत्री और बदरीनाथ को जोड़ता है. करीब 90 किमी के इस ट्रेक को विश्व के सबसे कठिन ट्रेकों में से एक माना जाता है. दरअसल ये बहुत ऊंचाई और बर्फीली पहाड़ियों पर स्थित है. साहसिक पर्यटन के शौकीन इस ट्रेक पर वासुकीताल, कालिंदी खाल दर्रे से होते हुए घस्तोली, अरवाताल होकर माणा बदरीनाथ पहुंचते हैं. यानी उत्तरकाशी जिले से चमोली जिले में यहां से प्रवेश किया जाता है. माणा से नजदीक में ही बदरीनाथ मंदिर है.केदारताल-गंगोत्री हिमालय में स्थित केदारताल गंगोत्री से करीब 18 किमी की दूरी पर है. गंगोत्री से शुरू होने वाले ट्रेक पर ट्रैकर भोजखरक, केदारखरक होकर केदारताल पहुंचते हैं. इस ताल के पास थलय सागर पर्वत का दीदार आकर्षण का केंद्र होता है.
गोमुख तपोवन ट्रेक- गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध ट्रेक गोमुख तपोवन ट्रेक है. गोमुख तक जाने वाले इस ट्रेक की दूरी गंगोत्री से करीब 18 से 22 किमी है. गंगोत्री धाम की यात्रा पर आने वाले कई तीर्थयात्री व कांवड़ यात्री भी यहां पहुंते हैं. प्रतिदिन केवल 150 तीर्थयात्रियों को ही इस ट्रेक पर जाने की अनुमति दी जाती है. पार्क के उपनिदेशक रंगनाथ पांडेय ने बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क के चारों गेट 6 माह के लिए पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं. इस मौके पर रेंज अधिकारी प्रदीप बिष्ट, वन दरोगा राजवीर रावत, देवराज राणा आदि मौजूद रहे।