शंखनाद INDIA / नैनीताल :उत्तर भारत के अलग-अलग हिस्सों में जलती पराली का धुआं भी हिमालय तक पहुंचकर प्रदूषण बढ़ा रहा है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वायु प्रदूषण की स्थिति पर किए गए शोध में इस तरह के कई अहम बिंदु सामने आए हैं। एरीज के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डा. उमेश दुम्का के निर्देशन में शोधार्थी राहुल श्योरण ने मध्य हिमालय पर हाल में किए शोध में विभिन्न ऋतुओं के दौरान वायु प्रदूषण को वर्गीकृत किया। बसंत व ग्रीष्मकाल में उड़ने वाली धूल के साथ जंगलों में लगने वाली आग का कार्बन हिमालय तक पहुंचता है। शोध में सामने आया है कि बरसात के दिनों में मानसून समुद्र मिश्रित एयरोसोल को हिमालय तक पहुंचाता है। इस एयरोसोल में धुआं, धुंध एवं वाहनों से निकलने वाली प्रदूषित हवा शामिल होती है। इसके अलावा शीतकाल में पराली से निकलने वाला प्रदूषण हिमालय को दूषित कर रहा है। डा. दुम्का के मुताबिक दिल्ली, थार रेगिस्तान, पंजाब, हरियाणा का प्रदूषण मध्य हिमालय को अपनी गिरफ्त में लेता है। जबकि पाक से सेकेंडरी सल्फेट वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में हिमालय में पहुंचता है।

बड़ा खतरा बन रहा वायु प्रदूषण….

डा. उमेश दुम्का ने बताया कि वायु प्रदूषण बड़ा खतरा बन रहा है। वायु प्रदूषण के कारण हिमालय के तापमान में वृद्घि हो रही है। जो ग्लेशियरों को पिघलाने वाला कारण बन रहा है। साथ ही जलवायु परिवर्तन भी वायु प्रदूषण में बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसके प्रभाव से मानसून भी अछूता नहीं रहा है। दमा जैसी गंभीर बीमारी भी इस वजह से बढ़ रही है। रिसेप्टर मॉडल के जरिए यह शोध किया गया।