विभाग ने स्पष्ट किया– शराब के दाम नियंत्रित, अवैध शराब पर अंकुश, उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं

देहरादून। सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की नई आबकारी नीति को लेकर भ्रामक प्रचार तेज है। कुछ चैनलों और पेजों पर यह दावा किया जा रहा है कि नई नीति उपभोक्ताओं और राज्य के लिए नुकसानदेह साबित होगी। वहीं, आबकारी विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह जानकारी पूरी तरह गलत और वास्तविकता से परे है। विभाग के अनुसार, नई नीति न केवल राज्य के राजस्व में वृद्धि करेगी बल्कि उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा करेगी।

आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, नई नीति के तहत इस वर्ष विदेशी शराब की रिकॉर्ड बिक्री लगभग 10 लाख पेटी अधिक होने की संभावना है। पिछले वर्ष 2024–25 के आंकड़ों की तुलना में यह वृद्धि स्पष्ट रूप से दिखाती है कि नई नीति प्रभावी है। इसके साथ ही, कुल शराब बिक्री के माध्यम से विभाग 60 लाख पेटी तक की बिक्री लक्ष्य प्राप्त करने का अनुमान लगा रहा है।

 

राजस्व के मामले में भी स्थिति सकारात्मक है। विभाग के अनुसार, इस वर्ष आबकारी राजस्व में 700 करोड़ रुपये की वृद्धि होने की संभावना है, साथ ही VAT संग्रह में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। इससे राज्य को समग्र रूप से पिछले वर्ष की तुलना में कहीं अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि नई नीति ने पड़ोसी राज्यों की तुलना में शराब के दामों को नियंत्रित किया है। इसके परिणामस्वरूप अवैध शराब पर अंकुश लगाना संभव हुआ है और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ा। अनुमानित तौर पर उपभोक्ताओं को लगभग 350 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा।

सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों के बारे में विभाग ने कहा कि किसी भी शराब निर्माता कंपनी ने कोई शिकायत या आपत्ति दर्ज नहीं की है। जिस एसोसिएशन का जिक्र सोशल मीडिया में किया जा रहा है, वह विभाग का हितधारक नहीं है। इसके अलावा, VAT दरों और राजस्व वृद्धि की स्थिरता के कारण उत्तराखंड की आबकारी नीति अन्य राज्यों की तुलना में पहले से अधिक संतुलित और लाभकारी साबित हो रही है।

आबकारी विभाग ने अंत में कहा कि नीति का मुख्य उद्देश्य वैध बिक्री को बढ़ावा देना, अवैध शराब पर नियंत्रण रखना और राज्य के राजस्व को सुरक्षित तरीके से बढ़ाना है।