पूनम चौधरी शंखनाद इंडिया देहरादून:

आखिर क्यों उत्तराखंड सरकार अपने वादों पर खरा नहीं उतर पा रहे

आखिर क्यों लौटाया गया आंदोलन कर रही महिलाओं को वापस

सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ने का बताया जा रहा डर 

आखिर क्यों सरकार ने किया तीन सिपाहियों को सस्पेंड

सिपाहियों के इस्तीफे तक हुए थे वायरल 

ग्रेड-पे मामले में एक बार फिर पुलिसकर्मियों के परिजनों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी थी। उन्होंने सरकार और पुलिस विभाग को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। परिजनों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के एक साल बाद भी सिपाहियों को 4600 ग्रेड-पे का लाभ नहीं मिला।

परिजनों ने कहा सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है। मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष हो रहे पुलिस स्मृति दिवस के कार्यक्रम में उन्होंने 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद सरकार ने दो लाख रुपये देने का शासनादेश जारी कर दिया। बता दें की यह घोषणा के बिल्कुल उलट था। ऐसे में परिजनों ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन उनकी मांग पर अब तक न तो कोई सुनवाई और न कोई फैसला हुआ । यह तक की पुरानी चल रही व्यवस्था के तहत अब 2002 बैच के सिपाही भी इसके हकदार माने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक उनसे एक साल पहले वालों को ही 4600 ग्रेड पे नहीं मिला है। तो 2002 वालों का तो क्या हो होगा।

ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मियों के परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर तीन सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें एक सिपाही चमोली, दूसरा उत्तरकाशी और तीसरा देहरादून में तैनात है। कार्रवाई के विरोध में भी सोमवार को परिजन पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के लिए पहुंचे, लेकिन बाद में डीजीपी अशोक कुमार के समझाने के बाद लौट गए।

अभी जब सिपाहियों के 4600 ग्रेड पे पर सरकार इसलिए फैसला नहीं ले पा रही है तो उस पर वित्तीय बोझ पड़ना तो लाज़मी है। क्योंकि, अगर पुलिस विभाग में यह व्यवस्था हुई तो अन्य विभागों से भी आवाज उठनी शुरू हो जाएगी। ऐसे में सरकार इस मामले में हाथ खींचती नजर आ रही है। माना जा रहा था कि दो लाख के भुगतान से पुलिसकर्मी संतुष्ट हो जाएंगे, लेकिन सरकार की यह तरकीब किसी भी काम नहीं आई।

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