मूल निवास व भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले आज देहरादून के परेड मैदान में विशाल जन सैलाब उमड़ा। राज्य में मूल निवास 1950 लागू करने की मांग को लेकर लोगों में आक्रोश देखने को मिला। परेड मैदान से कचहरी स्थित शहीद स्मारक तक मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकाली गई। महारैली में उत्तराखंड के कई जिलों के लोग, साथ ही सामाजिक संगठन,राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ता व राज्य आंदोलनकारी भी शामिल हुए। राज्य आंदोलनकारीयों ने कहा कि विषम भौगोलिक स्थिति वाले राज्य को आजादी 42 शहादतों के बाद मिली है। हमारी मांग रही है कि राज्य में 1950 का मूल निवास लागू हो साथ ही हिमाचल की तर्ज पर भू कानून लागू हो, कहा कि इसके लिए हम सभी लामबंद हो चुके हैं। इसका आगाज आज हो चुका है और यदि इसमें कोई हीला-हवाली की गई तो आने वाले समय में हम इससे भी बड़ा जन सैलाब सड़क पर उतारेंगे।
उत्तराखंड में स्थानीय निवास की व्यवस्था खत्म कर मूल निवास कानून लागू करने की मांग को लेकर मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति और विभिन्न संगठनों की ओर से बुलाई गई महारैली में राज्य के अलग अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेने पहुंचे हैं। रविवार सुबह 8 बजे से ही बड़ी संख्या में लोग परेड ग्राउंड के समीप जुटने शुरू हो गए थे। विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक संगठनों से जुड़े लोगांे के अलावा पूर्व सैनिक, राज्य आंदोलनकारियों के साथ ही छात्र, युवा, बुजुर्ग, महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में इस महारैली में हिस्सा लिया।
राज्य में स्थाई निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था को खत्म कर मूल निवास कानून लागू करने की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों ने रविवार को देहरादून में एक महारैली का आह्वान किया था। रविवार सुबह से ही परेड ग्राउंड के समीप बड़ी संख्या में लोग जुटने शुरू हो गए थे। प्रदेश के अलग अलग हिस्सों के साथ ही बाहरी राज्यों में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोगों ने इस रैली में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को ही देहरादून पहुंचना शुरू कर दिया था। महारैली में उमड़ी भीड़ को देखते हुए ही भी उत्तराखंड पुलिस ने भी पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर मुख्य मार्गों में बैरीकेड लगाकर भारी पुलिस बल आयोजन स्थल के इर्द गिर्द तैनात कर दिया।
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बता दें कि एक आंदोलन उत्तराखंड राज्य बनाने को लेकर हुआ था जिसमें तमाम राज्य आंदोलनकारी और उत्तराखंड राज्य की जनता ने भाग लिया था। इस आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान तक गवांई थी लेकिन आज एक लम्बे समय के बाद उत्तराखंड के लोग आंदोलित हैं और देहरादून की सड़कों पर आज विशाल जनसैलाब देखने को मिला। प्रदेश भर से हज़ारों कि संख्या में लोगों ने पहुंचकर विशाल जनआंदोलन में भाग लिया। यह आंदोलन सशक्त भूकानून और मूल निवास (1950)की मांग को लेकर किया जा रहा है।
उत्तराखंड में उत्तराखंड के लोग अपने हक हकूक के लिए देहरादून के परेड ग्राउंड में सुबह से एकत्रित होने लगे लगभग दस हजार से उपर लोगों की संख्या बताई जा रही है। दिल्ली चंडीगढ़ उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से लोग देहरादून पंहूचे। उत्तराखंड के सभी जिलों से लोग व युवा फौज के रिटायर्ड लोग सभी लोग शामिल हुए। पहली बार राज्य आंदोलन के बाद उत्तराखंड के लोगों में काफी करंट था।लोग अपने हक हकूक व अपनी जमीन बचाने के लिए सड़क पर उतरे हैं। गायक कारों ने अपने फेसबुक माध्यम से अपील की थी। लगता है लोगों न सुना।
वहीं परेड ग्राउंड के दुसरे मैदान में मोदी हैं ना रैली का आयोजन भी था। स्वाभिमान रैली में आज की भीड़ इस बात का एहसास करा दिया है राज्य में आने वाले दिनों भू कानून और मूल निवास को सभी जिलों से लोग इस आंदोलन को तेज करने की तैयारी में हैं।आज ही नरेंद्र सिंह नेगी एक बार फिर अपने हक हकूक के लिए गीत को गाकर अलख जगा दी है। आने वाले तीन महीने बाद उत्तराखंड में लोक सभा चुनाव भी होने हैं।अगर आंदोलन उग्र हुआ तो धामी सरकार के लिए मूल निवास और भू कानून खतरे की घंटी है।आज जिस तरह से युवाओं को स्वाभिमान रैली में उमड़ते हुआ देखा तो मुझे उत्तराखंड आंदोलन की याद ताजा हो गई।
पुष्कर सिंह धामी भले ही पैवेलियन ग्राउंड से भाषण में कह गये हों।लोग बरगला रहे हैं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पैवेलियन ग्राउंड में कहा मैं उत्तराखंड के जनहित के मुद्दों को लेकर में प्रतिबद्व हुं।लेकिन उत्तराखंड के युवा मूल निवास और भू कानून को लेकर आक्रामक दिखाई दे रहे हैं। धामी सरकार मूल निवास और भू कानून और मूल निवास कब लागू करेगी।यह तो उन्हें ही तय करना है। लेकिन मुझे लगता उत्तराखंड के लोग अब मूल निवास और भू कानून को लेकर आंदोलन करते दिखाई दे रहे हैं
सड़कों पर उत्तरी भीड़ ने सरकार को समय पर चेतने कि बात कही साथ ही आंदोलनकारीयों की मांग है कि मूल निवास 1950 और एक सशक्त भू कानून उत्तराखंड में लागू किया जाए ताकि उत्तराखंड के जल, जंगल और ज़मीन पर पहला अधिकार प्रदेश के मूल निवासियों का हो। आंदोलन कर रहे लोगों में गुस्सा इस बात का है कि सशक्त भू कानून नहीं होने की वजह से राज्य की जमीन को राज्य से बाहर के लोग बड़े पैमाने पर खरीद रहे हैं और राज्य के संसाधन पर बाहरी लोग हावी हो रहे हैं।