पूनम चौधरी 

ऋृषिकेश: बांसकाटल गांव में सड़क सुविधा नहीं होने के कारण गांव के लोग मरीजों को डंडी कंडी के सहारे सड़क तक पहुंचाते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावी घोषणा में गांव तक सड़क पहुंचाने की गूंज उठती है लेकिन चुनाव के बाद घोषणाएं कोरी साबित होती है। आपको बता दें कि भले ही देशवासी आजादी का 75 वां महोत्सव मना रहा है, लेकिन बांसकाटल गांव के ग्रामीण आज भी आदिवासियों की जिंदगी जी रहे हैं। ऋषिकेश से करीब 20 किमी दूर बदरीनाथ राजमार्ग पर टिहरी जनपद के नरेंद्रनगर ब्लाक अंतर्गत गूलर गांव है। यहां से गूलर-खखूर भांगला आंतरिक सड़क है।

बता दें कि गूलर से करीब 2 0 किमी दूर आंतरिक सड़क पर भैरगिड़ गांव पड़ता है। इस गांव से करीब एक किमी आगे बांसकाटल के ग्रामीण अपने गांव के लिए सड़क पर उतरते हैं। यहां से ग्रामीण करीब तीन किमी की खड़ी चढ़ाई तय कर अपने गांव में पहुंचते हैं। इस गांव में करीब 250 परिवार हैं लेकिन आज तक यह गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है।

आपको यह बता दें कि स्थानीय ग्रामीण सुरेंद्र सिंह कैंतुरा, सुल्तान सिंह, करन सिंह, भगवान सिंह, लिखवार सिंह ने बताया कि गांव-गांव में सड़क का मकड़जाल बिछ गया है लेकिन बांसकाटल गांव के ग्रामीण आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। गांव में ग्रामीणों की कृषि भूमि हैं। कृषि उत्पादों को सड़क तक पहुंचाने में ग्रामीण को 300 रुपये प्रति क्विंटल घोड़े और खच्चर चालकों को देना पड़ता है।