उत्तराखंड में नौकरियों के नाम पर सैटिंग के जरिए नौकरी कब अपने लोगों को देने की परंपरा जारी है अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के विधानसभा में बैक डोर का मामले सामने आ रहे हैं पढ़िए शंखनाद की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के दामन पर नौकरियों के मामले  के बाद अब विधानसभा की बैक डोर नियुक्ति सवालों के घेरे में हैं यहां पर हर सरकार के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर हुई अंडरटेबल भर्तियों ने उत्तर प्रदेश जैसी देश की सबसे बड़ी विधानसभा का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है चौथी विधानसभा के कार्यकाल में यहां पर भर्तियों की नियुक्तियां हुई पहले  चरण  में 72 दूसरे चरण  में 25 और तीसरे चरण  में 32 यानी कुल मिलाकर 129 लोगों को विधान सभा के सचिवालय में नौकरी दी गई थी इन भर्तियों की विज्ञप्ति कब निकली और कब इनकी परीक्षा की गई यह भी पता नहीं चला?

उत्तराखंड विधानसभा सिफारिशें और पहुंच वालों को नौकरी पाने के लिए सबसे सेफ गलियारा   बन गया है प्रत्येक विधानसभा के कार्यकाल में हुई इन भर्तियों की बात अब यहां कुल कार्मिकों की संख्या 507 का आंकड़ा पार कर गया है जो देश की सबसे बड़ी विधानसभा के कारणों की संख्या से 17 अधिक है विधानसभा के काम को देखा जाए तो यह सर्व विदित है कि उत्तराखंड विधानसभा पूरे वर्ष में 12 से 15 दिन ही चलती है जबकि उत्तर प्रदेश की विधानसभा हर साल 60 से 70 दिन तक चलती है विधायकों की संख्या के लिहाज से भी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड से करीब 5:45 गुना बड़ा है वहां विधानसभा में 405 मेंबर हैं जबकि उत्तराखंड में मात्र 70 विधायक हैं ऐसे में विधान सभा सचिवालय में लगातार बढ़ रही कार्मिकों की किस काम की है इस पर सवाल खड़ा हो रहा है?

विधानसभा में लगी नौकरी पर 3 साल की वेतन की बदले नौकरी मिलने की चर्चा भी बाजार में गर्म    है दो दर्जन नौकरियां हाई प्रोफाइल सिफारिश वालों को भी दी गई है चौथी विधानसभा के अंतिम चरण में 129 लोगों को नौकरी मिली है?

कुल मिलाकर 29 लोगों में से करीब दो दर्जन लोग ऐसे हैं जिन्हें सरकार और संगठन के प्रभावशाली लोगों की सिफारिश पर रखा गया जबकि चार को कांग्रेश के नेताओं का मुंह बंद करने के लिए रखा गया जिनमें से दो कांग्रेश के दो बड़े नेताओं की सिफारिश पर और 2 को ऋषिकेश विधानसभा से टिकट के प्रबल दावेदार रहे कांग्रेस के एक दिग्गज नेता की सिफारिश पर भी रखा गया विधानसभा 3 भारतीयों में सबसे बड़ी चर्चा है कि हाई प्रोफाइल मामलों को छोड़ दिया जाए तो बाकी अभ्यर्थियों से भारी पैसा वसूला गया है सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अभ्यर्थियों से करीब 3 साल के वेतन के बराबर पैसा लिया गया विधानसभा सचिवालय कर्मचारी को 3 साल में करीब 18 से 20 लाख  रुपए का वेतन मिलता है अगर इन बातों में सच्चाई है तो यह अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भी बड़ा घोटाला साबित हो सकता है 129 विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होते-होते की गई सूत्रों का कहना है कि भर्तियों   को लेकर पहले से ही कोशिश शुरू हो गई थी लेकिन अब सरकार की तरफ से इन भर्तियों का चयन आयोग से कराने की सलाह दी गई जिससे यह डर गई इस संबंध में विधानसभा से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया?

 

 

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें