उत्तराखंड की उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू कर दी गई है। जिसका विधिवत शुभारंभ आज मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में बतौर मुख्यातिथि केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उधमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड एनईपी-2020 के मामले में अन्य प्रांतों से कहीं आगे है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में देश का भाग्य बदलने का सामर्थ्य है।

प्राथमिक शिक्षा के बाद आज राज्य की उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू कर दी गई है। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उधमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में बतौर मुख्यातिथि एनईपी-2020 का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 पर समाज ने पर्याप्त चर्चा की और अब इस नीति को ठीक से क्रियान्वयन की चुनौती है। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत की पीठ थपथपाते हुये कहा कि एनईपी-2020 के मामले में उत्तराखंड देश के अन्य प्रांतों के मामले कहीं आगे है।

उन्होंने उत्तराखंड को ज्ञान की धरती बताते हुये कहा कि भविष्य में यह राज्य शिक्षा से लेकर कई अन्य क्षेत्रों में नया बैंचमार्क खड़ा करेगा। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश मे कई असाधारण फैसले लिये गये हैं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 में देश का भाग्य बदलने का सामर्थ्य है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार राज्य के विकास के लिए हर स्तर पर काम कर रही है, उन्होंने राज्य में गुणात्मक शिक्षा के लिये ख्याति प्राप्त संस्थानों से सहयोग लेने की भी बात रखी।

सूबे के विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने राज्य में एनईपी-2020 लागू किये जाने का श्रेय विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों की मेहनत का नतीजा है कि आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया जा सका। डॉ0 रावत ने बताया कि एनईपी-2020 के अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रवेश शुरू कर दिये गये हैं।

इसके लिये नई नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किये गये हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि नई नीति के क्रियान्वयन के लिये राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी और कैरिकुलम डिजाइन समिति गठित की गई। जिनकी विभिन्न स्तर पर कई दौर की बैठकों और पब्लिक डोमेन से मिले सुझावों के उपरांत बाद पाठ्यक्रम तैयार किया गया। जिसे सभी विश्वविद्यालयों की बीओएस, एकेडमिक काउंसिल और एग्जेक्युटिव कमेटी द्वारा अप्रूव्ड किया गया।

उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत छात्र-छात्राओं को च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का लाभ मिलेगा और अब वह अपने मनपसंद विषय और विश्वविद्यालय चुन सकेंगे। डॉ0 रावत ने बताया कि नए पाठ्यक्रम रिसर्च, इनोवेशन और इंटरप्रेन्योरशिप बेस्ड होंगे। इसमें रोबोटिक्स जैसे एडवांस कोर्स रखे गये हैं। उन्होंने बताया कि को-कैरिकुलम कोर्स के 6 सेमेस्टरों के प्रत्येक सेमेस्टर में भारतीय ज्ञान परम्परा, कम्युनिकेशन स्किल, इन्वायरमेंट, मैनेजमेंट पैराडाइज ऑफ भागवत गीता, योगा, विवेकानंद स्टडीज, पर्सनली डेवलपमेंट, रामचरितमानस, ट्रेडिशनल नॉलेज, वैदिक साइंस और वैदिक गणित जैसे कोर्स भी रखे गये हैं। डॉ0 रावत ने का की एनईपी-2020 लागू होने से देश के एजुकेशन सिस्टम में क्रन्तिकारी बदलवा होगा।