हिमालयी क्षेत्र में सुरंग निर्माण की संभावनाओं को तलाशने के लिए अप्रैल में देहरादून में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार होगा। जिसमें सुरंग बनाने और उसके डिजाइन व तकनीक से जुड़े 148 देशों के 600 से ज्यादा विशेषज्ञ शामिल होंगे। अगले वर्ष 17 से 21 अप्रैल तक प्रस्तावित सेमिनार में टनल के एडवांस डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन विषय पर विशेषज्ञ चर्चा करेंगे।

केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ इंडियन रोड कांग्रेस व परमानेंट इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ रोड कांग्रेस (पीआईआरसी), इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन (आईटीए) सेमिनार में सहयोगी हैं। प्रमुख सचिव (लोनिवि) आरके सुधांशु ने बृहस्पतिवार को सचिवालय में सेमिनार की तैयारी के संबंध में बैठक ली।

उन्होंने अधिकारियों को प्रतिभागियों के ठहरने, आवागमन, आयोजन स्थल तक सड़कों के सुधारीकरण व साफ-सफाई को लेकर दिशा-निर्देश दिए। आयोजन के संबंध में विभाग की ओर से एक प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। सेमिनार में 148 देशों के इंजीनियरों, विशेषज्ञों और सुरंग निर्माण से जुड़ी ख्यातिलब्ध कंपनियों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।

प्रमुख पर्यटक स्थलों की कराई जाएगी सैर…

सेमिनार में 17 व 18 अप्रैल को बैठकें होंगी। 19 से 20 अप्रैल को सेमिनार होगा। 21 अप्रैल को विभिन्न देशों के प्रतिनिधि टेक्निकल विजिट करेंगे। प्रदेश सरकार का मानना है कि इस आयोजन से उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। वहीं, प्रतिभागियों को ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन और ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत बन रहीं सुरंगों के साथ ही प्रमुख पर्यटक स्थलों की सैर कराई जाएगी।

मशीनों की प्रदर्शनी लगेगी…

सेमिनार के दौरान दुनिया के दूसरे मुल्कों में सुरंग निर्माण में इस्तेमाल हो रहीं मशीनों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

राज्य को यह होगा फायदा…

उत्तराखंड राज्य का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है। राज्य में टनल निर्माण से पर्वतीय क्षेत्र में आवागमन आरामदायक व सुलभ बनाने और यात्रा का समय कम करने का प्रयास हो रहा है। राज्य को टनल निर्माण की नवीनतम तकनीक की जानकारी मिलेगी। वर्तमान में रेलवे विकास निगम ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 किमी लंबी रेलवे लाइन बना रहा है। इसमें 105 किमी लंबाई में टनल बनाई जा रही है। पर्यटन व आर्थिक विकास के लिहाज से यह अत्यंत लाभदायक है।

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