अधीनस्थ चयन सेवा आयोग भर्ती घोटाले में हाकम के साथी ने एसटीएफ के डर से किया सरेंडर पेपर लीक मामले में हाकम सिंह रावत के बिजनौर निवासी साथी ने एसटीएफ के डर से सरेंडर कर दिया बिजनौर जिले में धर्मपुर निवासी केंद्रपाल    मास्टरमाइंड से एक बताया जा रहा है उसने किसी पुराने मुकदमे जमानत करवाई और न्यायालय पहुंच गया बिजनौर सीजीएम न्यायालय ने उसे जेल भेज दिया है अब भी उसे देहरादून ला सकती है बता दें कि जांच में बार-बार धामपुर का कनेक्शन हाकम के साथ जोड़ रहा है इस क्षेत्र में कुछ नकल माफिया में एसटीएफ के रडार पर हैं धामपुर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर पड़ता है यहां दोनों परीक्षाओं में नकल कराने में माहिर हैं अपने साथियों के साथ मिलकर धामपुर में बनाया था इस सेंटर पर जाकर नकल कराई गई इस कनेक्शन में अब तक हो चुकी है धामपुर में एक कनेक्शन में केंद्र का नाम भी सामने आ रहा है उसकी तलाश में जुटी हुई थी इसलिए किया गया कि उसके ऊपर अन्य कई मुकदमे चल रहे हैं उसके खिलाफ वारंट जारी हो चुके हैं उन्हें मामले में किया है

 

धामपुर की कनेक्शन में केंद्र पाल नाम भी सामने आ रहा था एसटीएफ की तलाश में 1 सप्ताह से अधिक समय से जुटी हुई थी इसी बीच खबर आई थी कि केंद्र पाल बिजनौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में सरेंडर कर दिया है ऐसा उसने स्टेप के हाथों गिरफ्तार होने से बचने के लिए किया है बताया जा रहा है कि उसके ऊपर अन्य कई मुकदमे भी चल रहे हैं जिसमें उसके खिलाफ वारंट भी जारी हो चुके हैं उन्हीं में से एक मामले में उसने जमानत करवा कर सरेंडर किया है उधर एसटीएफ भी अब उसे देहरादून लाने के लिए प्रयास शुरू कर रही है

इस मामले में अब तक 80 अभ्यर्थी एसटीएफ के सामने बयान दर्ज करा चुके हैं इनकी नकल में संलिप्त अब नहीं बताई जा रही है जबकि 60 से अधिक आवश्यक उनको नकल करने में तकलीफ हो चुकी है इनमें से कई के बयान एसटीएफ दर्ज करा चुकी है अब भी बहुत से अभ्यर्थी ऐसे हैं जो एसटीएफ के सामने नहीं आ रहे हैं एसटीएफ एसएसपी कई बार इस संबंध में अपील भी कर चुके हैं यदि अब भी वह स्टेप के बचने की कोशिश कर रहे तो उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा,

बिजनौर में केंद्र पाल को करोड़ों के मालिक हैं जनता के मारपीट मामले में उसे एक भी जमानत ही नहीं मिले यह भी एक संदेश है बिजनौर में सरेंडर करने वाला शख्स करोड़ों की संपत्ति का मालिक है मगर हैरान करने वाली बात है कि उसे मारपीट गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी के मामले में जमानत ही नहीं मिले बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों के साथ सेटिंग कर उसने सरेंडर किया है ताकि जिस पेपर लीक मामले में उस पर शक जताया जा रहा है उसमें वह एसटीएफ उत्तराखंड के हाथों न चड़े यह नया मामला नहीं है जब कोई  वांटेड जमानत करवा कर पुलिस से बचने के लिए जिलों में गए हैं बड़े कुख्यात और अपराधी अक्सर इस तरह के खेल सकते हैं अपने मुंह लगे अधिकारियों की शह पर वह जिलों में सुरक्षित समय बिताते हैं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा देखने को मिला है लगातार इनकाउंटर की खबरें सामने आई तो बड़े-बड़े अपराध को रखने के आरोप में जेल का खेल इशारा कर रही है मारपीट और गाली-गलौच की मामले में जमानत नहीं मिला यह सब धाराएं हैं और इन मामलों में गिरफ्तारी भी संभव नहीं होती लेकिन यह दलील दी कि नहीं है इसी को आधार बनाकर उसे जेल भेज दिया गया बताया जा रहा है बड़े-बड़े लोगों को अपनी जमानत लेने आ जाते एस एसटीएफ के हत्थे चढने के बजाय जेल पंहुच गया ,