शंखनाद INDIA/ देहरादून : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ धाम में तीन गुफाएं बनकर तैयार हो गई हैं, जबकि एक गुफा का सौन्दर्यीकरण किया गया है। चार गुफाओं के तैयार होने से भक्त आसानी से यहां आकर रात काट रहे हैं और योग और ध्यान करके बाबा का आशीर्वाद ले रहे हैं। गुफाओं में पानी व बिजली समेत सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
केदारनाथ में पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत गुफाएं तैयार की गई हैं। पहाड़ों पर बनी पत्थर की पुरानी गुफाओं में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। केदारनाथ मंदिर से दायीं ओर दुग्ध गंगा से गरूड़चट्टी तक तीन ध्यान गुफाएं बनाई गई हैं, जबकि एक गुफा का सौन्दर्यीकरण किया गया है। वर्ष 2018 में यहां पहली ध्यान गुफा का निर्माण किया गया था, जिसके बाद अब यहां कुल चार ध्यान गुफाएं बन चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2017 के अक्टूबर माह में पुर्ननिर्माण कार्यो के शिलान्यास के दौरान ही ध्यान के लिए केदारनाथ की पहाड़ियों पर ध्यान गुफा बनाने के आदेश दिये थे। जिसके बाद इन गुफाओं का निर्माण किया गया। केदारनाथ धाम से डेढ़ किमी दूर स्थित इन सभी गुफाओं का आस-पास ही निर्माण किया गया है। यह गुफाएं पौराणिक कला में तैयार की गई हैं। गुफाओं को सुविधाओं से लेस करते हुए इन्हें आधुनिक बनाया गया है।
ये सभी गुफाएं 12,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। इन गुफाओं की तीन मीटर लंबाई व दो मीटर चौड़ी रखी गई है। गुफाओं के निर्माण में 27 लाख रुपये खर्च हुए हैं। प्रत्येक गुफा में एक-एक साधक ध्यान कर सकता है। यहां पर शौचालय, गर्म पानी करने की व्यवस्था है, जबकि पानी व बिजली से भी जोड़ा गया है। 18 मई वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धाम पहुंचकर यहां लगभग 18 घंटे तक साधना की थी और इसी वर्ष पूरे यात्राकाल में 95 श्रद्धालुओं ने गुफा में ध्यान व योग साधना की थी। इस दौरान गढ़वाल मंडल विकास निगम की एक लाख से अधिक की आय भी हुई। जबकि बीते वर्ष कोरोनाकाल में सीमित यात्रा के बीच 25 श्रद्धालुओं ने ध्यान गुफा में साधना की थी। कोरोनो के कारण इस वर्ष अभी तक इन गुफाओं का संचालन नहीं हो सका है, लेकिन अब प्रशासन की ओर से भक्तों को गुफाआंे में जाने की अनुमति दी जा रही है।
डीएम मनुज गोयल ने बताया कि लोनिवि गुप्तकाशी ने तीन गुफाओं का नवनिर्माण किया है, जबकि एक गुफा का सौन्दर्यीकरण किया गया है। सभी गुफाओं का निर्माण पूरा होने के बाद जीएमवीएन को हस्तगत कर दी गई हैं। जीएमवीएन ही गुफाओं का संचालन कर रहा है।