दीपक फरस्वाण देहरादून/

श्रम विभाग ने मजदूरों को नहीं किया साइकिलों का वितरण

लक्खनवाला में खुले आसमान के नीचे रखीं हैं 5600 साइकिलें

एक साल से साइकिलों को नहीं उठाया गया, सड़ने लगे पार्ट्स

 

 

 

कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर धन की बर्बादी करना तो कोई उत्तराखण्ड सरकार के श्रम विभाग से सीखे। विभाग आम लोगों के कल्याण के नाम पर लुभावनी योजनाएं बना रहा है। गरीब मजदूरों को सुविधा प्रदान करने के लिए करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं लेकिन यह सुविधाएं पात्र व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका सटीक उदाहरण है श्रम विभाग की साइकिल सहायता योजना’। इस योजना के तहत भवन निर्माण करने वाले श्रमिकों को मुफ्त में वितरित करने के लिए सरकार की ओर से आर्डर की गईं हजारों साइकिलें खुले स्थानों पर रखी गई हैं। डेढ़ साल पहले लाई गईं इन साइकिलोजंग लग चुका है और उनमें घास तक जम चुकी हैं।

 

 

उत्तराखण्ड में श्रम विभाग ने वर्ष 2015 में श्रमिकों के लिए मुफ्त साइकिल योजना शुरू की। योजना के तहत सरकार मकान निर्माण में लगे ऐसे श्रमिकों को फ्री में साइकिल प्रदान करती है जिनका रजिस्ट्रेशन ‘भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड’ में है। योजना का मकसद है कि निर्माण कार्य में जुटे मजदूर साइकिल पर सवार होकर समय पर कार्य स्थल में पहुंच सकें। लेकिन यह कल्याणकारी योजना धरातल पर कम और सड़कों पर ज्यादा दौड़ रही है। जरूरतमंदों को बांटे जाने के बजाए करोडों के बजट से आर्डर की गईं साइकिलें गोदामों में खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई हैं और सड़ने की कगार तक पहुंच गई हैं। ऐसा ही गोदाम विकासनगर तहसील के लक्खनवाला गांव में है। इस गोदाम में डेढ़ साल पहले तकरीबन 5600 साइकिलें रखी गईं। अब तक यह साइिकलें गरीबों को नहीं बांटी गई हैं बल्कि खुले आसमान के नीचे होने की वजह से इनमें से अधिकांश पर जंग लग गई है और उनमें घास तक जमने लगी है। महज 3000 रुपया एक साइकिल की कीमत मानी जाए तो सिर्फ एक गोदाम में ही 1.68 करोड़ का माल खराब हो गया। यदि प्रदेशभर के गोदामों की जांच की जाए तो यह मामला करोड़ों के गड़बड़झाले के रूप में सामने आएगा। ये साइकिलें उस पैसे से खरीदी गईं या खरीदी जानी हैं जो खून-पसीने की कमाई से जनता टैक्स के रूप में सरकार को देती है।

 

मामले की हो जांच, ये है करोड़ों का घोटाला : कांग्रेस

विपक्षी दल कांग्रेस राज्य की भाजपा सरकार की मुफ्त साइकिल योजना को एक बड़ा घोटाला बता रही है। पछवादून कांग्रेस के जिलाध्यक्ष संजय किशोर महेन्द्रू का कहना है श्रम मंत्री और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष के बीच ठनी हुई है जिस वजह से निरंकुश विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। निष्पक्ष जांच होने पर कई नेताओं और अफसरों के चेहरों से नकाब उतर जाएगा।

 

श्रम विभाग की नहीं कम्पनियों की है साइकिलें : श्रम मंत्री

इस सम्बंध में पूछने पर श्रम मंत्री डा. हरक सिंह रावत का कहना है कि ‘साइकिल सहायता योजना’ के तहत साइकिलों की सप्लाई करने का काम भारत सरकार के दो उपक्रमों आईटी और टीसीएल (दो कम्पनियों) को दिया गया है। ई-टेंण्डरिंग से उन्हें यह काम दिया। जिन गोदामों में साइकिलें रखीं गई हैं वो इन कम्पनियों के गोदाम हैं। सरकार जब भी कैंप आयोजित कर श्रमिकों को साइकिल का वितरण करेगी तो इन कम्पनियों से नई साइकिलें ली जाएंगी। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से लम्बे समय से साइकिलें वितरित नहीं हो पाई हैं।

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