शंखनाद INDIA / देहरादून : यदि आप पहाड़ो का सफर करने के लिए बसों का इस्तेमाल करते हैं। तो यह खबर आपके लिए ही हैं। बता दे, उत्तराखंड रोडवेज में बसों के टायरों को रिट्रीड करने के लिए खरीदी जा रही हैं। वही रबर की गुणवत्ता पर भी बहुत से सवाल उठने लगे हैं। इस पर कर्मचारी नेताओं का कहना है कि पहाड़ी रूट पर इस रबर से रिट्रीड टायर दो सप्ताह में ही घिस जा रहे हैं। बसों के टायर बार-बार बदलने पड़ रहे हैं। बसों के नए टायर घिसने के बाद रोडवेज उन टायरों पर रबर चढ़ाकर रिट्रीड करता है। अधिकांश बसें रिट्रीड टायरों के भरोसे चल रही हैं। नियमानुसार रिट्रीड के बाद टायर पहाड़ी रूट पर 10 से 12 हजार किमी चलना चाहिए। आगे पढ़े …

नए टायरों की हो रही हैं परेशानी …

रोडवेज में नए टायरों की भारी कमी बनी हुई है। पर्वतीय डिपो में 16 और ग्रामीण डिपो में 14 बसें टायरों के अभाव में खड़ी हैं। इस कारण कई रूटों पर बसें नहीं चल पा रही हैं, जिस कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है। त्योहारी सीजन में बसों के टायर और पाट्र्स के अभाव में बसें खड़ी रहना रोडवेज के लिए भी घाटे का सौदा बन रहा है। बता दे, मंडलीय प्रबंधक जेके शर्मा का कहना हैं कि रोडवेज में नए टायरों की कमी बनी हुई है। रबर की खरीद के लिए मुख्यालय स्तर से टेंडर होने थे, लेकिन अभी तक नहीं हुए। मुख्यालय की अनुमति पर बाजार से दूसरी कंपनी की रबर खरीदी जा रही है, लेकिन इसकी गुणवत्ता ठीक है। हमारे पास कम समय में टायर घिसने की शिकायत नहीं मिली है। यदि ऐसा है तो कर्मचारी या फोरमैन शिकायत कर सकते हैं। इसकी जांच करवाई जाएगी।

 

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